अमेरिका की मदद से हिंद महासागर में बजेगा भारत का डंका

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अमेरिका समुद्री निरीक्षण में काम आने वाले अत्याधुनिक हथियार रहित गार्जियन ड्रोनों के लिए भारत की ओर से किए गए अनुरोध पर एक सकारात्मक फैसला ले सकता है। यह खासतौर पर हिंद महासागर में समुद्री निरीक्षण के लिए है।जून में अमेरिका द्वारा भारत को एक बड़े रक्षा साझीदार का दर्जा देने के बाद यह कदम उठाया गया है।

इसी साल जून में अमेरिकी दौरे पर गए पीएम मोदी ने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ओबामा से मुलाकात की थी। लेकिन भारतीय नौसेना ने उससे पहले, फरवरी माह के दौरान अमेरिकी रक्षा विभाग से उच्च तकनीकी क्षमता से लैस 22 मल्टी मिशन प्रेडेटर गार्जियन यूएवी की खरीद के लिए एक अनुरोध पत्र (एलओआर) भेजा था।

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अमेरिका सरकार ने इस पर कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि भारत के अनुरोध पर अंतर एजेंसी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।

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सूत्रों के अनुसार, प्रशासन का मानना है कि ऐसी बड़ी सैन्य बिक्री को मंजूरी दिए जाने से भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध को पुख्ता करने, दोनों सेनाओं के बीच एक नए स्तर की सहजता लाने में मदद मिलेगी। इसे सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि निवर्तमान राष्ट्रपति की एशिया-प्रशांत की धुरी के लिए भी एक चिरस्थायी विरासत के रूप में देखा जाएगा।

क्या होगा फायदा ?

अधिकारियों को लगता है कि इस गार्जियन ड्रोन से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामुद्रिक क्षमताओं में वृद्धि होगी। सूत्रों के अनुसार भारत की निगरानी व्यवस्था मजबूत होने को अमेरिका अपने हित में भी मान रहा है। क्योंकि इस समय भारत के आसपास के समुद्री इलाके में चीन की गतिविधियां भी बढ़ी हुई हैं, ऐसे में भारत की एकत्रित जानकारी से अमेरिका को भी लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।

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