अपनी नई प्रिवेसी पॉलिसी को लेकर दुनियाभर में विवादों का सामना कर रहे वॉट्सऐप की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार और ट्राई को वॉट्सऐप और इस जैसे अन्य प्लैटफॉर्म्स को रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के तहत लाने की संभावनाएं तलाशने के लिए कहा है। कोर्ट ने वॉट्सऐप को भी आदेश दिया है कि यूजर के अकाउंट डिलीट करते ही उसकी सारी इन्फर्मेशन हटा दी जाए और इसे फेसबुक के साथ शेयर न किया जाए।
फेसबुक के इन्स्टंट मेसेजिंग और वॉइस कॉलिंग ऐप वॉट्सऐप ने 25 अगस्त को नई प्रिवेसी पॉलिसी जारी की थी, जिसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में दो छात्रों की तरफ से जनहित याचिका दाखिल की गई थी। कर्मण्य सिंह सरलीन और श्रेया सेठी नाम के इन स्टूडेंट्स का कहना था कि नई पॉलिसी के तहत यूजर्स के अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उनकी गोपनीय जानकारी को वॉट्सऐप से संबंधित कंपनियों को शेयर किया जा सकता है।
याचिका में कहा गया था, ‘7 जुलाई, 2012 से अब तक जो वॉट्सऐप की प्रिवेसी पॉलिसी चली आ रही थी, उसे 25 अगस्त को बदल दिया गया। नई पॉलिसी यूजर्स के अधिकारों के साथ समझौता करती है और उनके प्रिवेसी राइट्स को खतरे में डालती है।’ हाई कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू करते हुए वॉट्सऐप और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था।