दरअसल 25 सितंबर से लागू होने वाली इस पॉलिसी से यूजर्स की डीटेल्स और डेटा के प्रॉटेक्शन वाला फीचर हटा दिया जाएगा। इसके बाद वॉट्सऐप इन जानकारियों को फेसबुक या अपने ग्रुप की संभी कंपनियों के साथ शेयर कर सकता है। यह जानकारी कमर्शन ऐडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग में भी इस्तेमाल की जा सकती है।
वॉट्सऐप ने कोर्ट में हलफनामा देते हुए अपनी पॉलिसी का बचाव किया था। कंपनी ने कहा था कि यूजर्स द्वारा वॉट्सऐप में डाला गया कोई भी कॉन्टेंट फेसबुक या अन्य सिस्टर कंपनी के साथ शेयर नहीं किया जाएगा। वॉट्सऐप ने कहा था कि यूजर्स विज्ञापनों और प्रॉडक्ट एक्सपीरियंस के लिए अपनी इन्फर्मेशन फेसबुक के साथ शेयर न करने का ऑप्शन भी चुन सकते हैं। वॉट्सऐप ने कहा था कि इस इन्फर्मेशन को स्पैमिंग को खत्म करने और अपनी सर्विसेज को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
इसके बदले में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वॉट्सऐप ने अपनी प्रिवेसी की शर्तों को जानबूझकर घुमाया-फिराया है, ताकि यूजर्स कन्फ्यूज होकर इनके लिए सहमत हो जाएं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जिस तरीके से इस पॉलिसी के लिए यूजर्स की सहमति ली जा रही है, वह भी सही नहीं है। वॉट्सऐप यूजर्स की सहमति लेने का सिर्फ दिखावा कर रहा है।