इस्लाम के प्रचार प्रसार करने वाले विवादित डॉ. जाकिर नायक को सरकार ने एक बड़ा झटका दिया है। कानून मंत्रालय ने सरकार से कहा है कि जाकिर नाईक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन(आईआरएफ) को बैन किया जा सकता है। कानून मंत्रालय ने जाकिर नाईक पर दर्ज 2005 और 2012 के एफआईआऱ को आधार बनाकर सरकार को सिफारिश भेजी है।
जाकिर द्वारा चलाए गए इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन(आईआरएफ) को गृह मंत्रालय ने भी गैर कानूनी संगठन घोषित करने को कहा है। जाकिर के इस संगठन पर लोगों के धर्मांतरण कराने और उन्हें आईएस में भेजने का भी आरोप लग चुका है। हालांकि संसद में सरकार कह चुकी है कि जाकिर के आतंकी कनेक्शन के सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन 55 आतंकी जाकिर के भाषणों से प्रेरित रहे हैं। सरकार का इस पर बैन लगाने का मकसद यह होगा कि कोई भी व्यक्ति भविष्य में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का सदस्य नहीं बन सकेगा। और अगर इस पर बैन लगता है तो कम से कम 5 साल के लिए लगेगा। साथ ही संगठन कहीं से चंदा भी नहीं ले सकेगा और ना ही कोई चंदा दे सकेगा।
जाकिर नाईक पिछले 20 सालों में 30 से ज्यादा देशों में 2000 से भी ज्यादा सभाएं कर चुका है। जाकिर नाईक की वेशभूषा और भाषा दूसरे इस्लामिक धर्मगुरुओं से बिलकुल अलग है, वो सूट पहनकर कुरान की आयतें पढ़ता है और उर्दू की जगह अंग्रेजी में बोलता है। उस पर आरोप है कि उसके भाषणों से आतंकी प्रेरणा ले रहे हैं।