उरी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच गहरी खाई बनती जा रही है। दोनों देशों के बीच रिश्ते अमूमन खात्मे की कगार तक पहुंच गए हैं। चाहे आयात-निर्यात पर प्रतिबंध की बात हो या फिर सिंधु जल समझौते को खत्म करने की बात। दोनों देशों के बीच अब बहुत कुछ ऐसा होगा, जो गंभीर से गंभीर हालातों में भी कभी नहीं हुआ। यहां तक कि युद्ध की दौरान भी नहीं।
उरी हमले से गुस्साए महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान कलाकारों को मुंबई से खदेड़ने की धमकी दी है। उन्होंने धमकी देते हुए पाकिस्तान के कलाकारों को यहां से जाने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया था। और ये भी चेतावनी जारी की थी कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो उन्हें देश से पीटकर निकाला जाएगा।
जहां एक तरफ भारत में बॉर्डर की लड़ाई बॉलीवुड तक पहुंच गई है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान भी बॉलीवुड की फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहा है। लाहौर उच्च न्यायालय में शनिवार (24 सितंबर) को एक याचिका दायर कर अनुरोध किया गया है कि कश्मीर मुद्दे का सामाधान होने तक देश में भारतीय फिल्मों के प्रसारण पर रोक लगा दी जाए। वकील अजहर सादिक ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि भारतीय सेना कश्मीर में अत्याचार कर रही है और पाकिस्तान सरकार ने स्थानीय सिनेमाघरों में भारतीय फिल्मों के प्रसारण की अनुमति दे दी है। इस कदम से ना सिर्फ कश्मीरियों की बल्कि पाकिस्तानियों की भी भावनाएं आहत हो रही हैं। याचिका में कहा गया है कि भारतीय फिल्में पाकिस्तान की कश्मीर नीति का विरोध करती हैं और कश्मीरियों की आजादी की जंग में ‘बड़ी बाधा’ हैं।
उसमें कहा गया है, ‘कश्मीरियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए पाकिस्तान सरकार को देश भर में भारतीय फिल्मों के प्रसारण पर तत्काल प्रतिबंध लगा देना चाहिए।’ सादिक ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए हमले के बाद भारत सरकार और अन्य चरमपंथी संगठन पाकिस्तानी अभिनेताओं को देश छोड़ने की धमकी दे रहे हैं। इसलिए पाकिस्तान सरकार को कड़ाई से भारत को जवाब देते हुए उसकी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। अदालत मामले की सुनवायी की तारीख अगले सप्ताह तय करेगी।