दिल्ली की केजरीवाल सरकार को एक सप्ताह में दूसरा झटका लगा है। केजरीवाल सरकार ने जिस जासूसी इकाई का गठन किया था, दिल्ली के सर्तकर्ता विभाग ने उसी की जांच की सिफारिश सीबीआई से कर दी है। मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने जासूसी इकाई का गठन किया था। जिसे फीडबैक यूनिट नाम दिया गया था।
जो कि सीधे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रिपोर्ट करती है और उन्हीं की देखरेख में काम करती है। सूत्रों का दावा है कि इसमें आईबी, रॉ (रिसर्च एंड एनलिसिस विगं), आयकर विभाग और कुछ अन्य एजेंसियों के रिटायर्ड अधिकारियों को शामिल किया गया था।
दरअसल विजलेंस विभाग की एक रिपोर्ट में आरोप लगाये गए हैं कि दिल्ली सरकार दिल्ली के लोगों के ऊपर स्टिंग और उनकी जासूसी कर रही है। ये आरोप इस साल के शुरु में सीबीआई ने एक प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरु की।
फीडबैक यूनिट के जो सदस्य थे वे विजलेंस विभाग से जुड़े थे, लेकिन विजलेंस विभाग के प्रमुख को ये ही नहीं पता था कि ये लोग उनके अंडर में काम करते हैं। फीडबैक यूनिट के लोंगो की 100 परसेंट अटैंडेंस दिखाई गई। बकायदा एसयूवी कार और बाइक भी इनको दी गई। सिक्रेट सर्विस फंड के नाम पर 1 करोड़ भी इस टीम को सरकारी खजाने से दिया गया और बताया गया कि केवल 50 हजार ही खर्च किए गए थे।
खामियों के बाजवूद भी जो स्टिंग यूनिट थी उसने साउथ दिल्ली के एक निजी स्कूल में स्टिंग ऑपरेशन किया था। जांच सबसे पहले स्टिंग ऑपरेशन पर सवाल खड़े करती है क्योंकि निजी स्कूल prevention of corruption act के दायरे में नहीं आते हैं।
ये बस महज एक शुरआत थी, कैलाश चन्द नाम के जिस शख्स ने खुद को एंटी करप्शन ब्रांच में अपर डिवीजन क्लर्क बताया था वो विजिलेन्स की जांच में फर्जी पाया गया। जांच रिपोर्ट आगे ये भी बताती है कि इस स्टिंग यूनिट के 20 अफसर सीधे सीएम ऑफिस को रिपोर्ट करते थे। उनकी हायरिंग में बहाली की प्रकिया को नजरअंदाज किया गया। इस यूनिट को बनाने के लिए कोई कैबिनेट से अनुमति नहीं ली गई ना ही एलजी से ना कोई कागजी नोट तैयार किया गया था।
दिसंबर 2016 में विजलेंस में साफ तौर पर इस यूनिट को तुरन्त बन्द करने के लिए और इस मामले की पूरी जांच कराने के लिए सीबीआई को लिखा था। जिसके बाद जनवरी 2017 में सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। यानी जिस सतर्कता के साथ केजरीवाल ने इस यूनिट का गठन किया था अब उसी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। फिलहाल सतर्कता विभाग से ये जानकारियां मिलने के बाद सीबीआई ने आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
आपको बता दें कि हाल ही में उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापन की राशि को गलत तरीके से खर्च करने के एवज में आम आदमी पार्टी (आप) से 97 करोड़ की वसूली के आदेश दिए थे। यहां तक तो सब ठीक था।