आज है ‘अप्रैल फूल’, पागल बनायें लेकिन जरा संभलकर

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अप्रैल फूल
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हम सभी कभी न कभी, किसी न किसी फ्रैंक के शिकार जरूर हुए हैं, और इसी तरह ही हमने भी अपने दोस्तों को मूर्ख बनाया होगा। फर्स्ट अप्रैल ऐसा ही एक दिन है जिस दिन सभी लोग दूसरे को मूर्ख बनाने का मौका ढूंढते रहते हैं, और इस दिन की खास बात यह है कि इस दिन कोई आपके फ्रैंक का बुरा भी नहीं मानता है लेकिन इसके अलावा किसी अन्य दिन अगर उसी शख्स को बेवकूफ बनाया जाए तो वो बुरा मान जाएगा।

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एक बात तो हर किसी के जहां में अति है कि आखिर इस दिन में ऐसा क्या है कि दुनियाभर में लोग इसे मानते हैं।मूर्ख दिवस एक मान्यता प्राप्त छुट्टी का दिन और कोई धार्मिक दिन नहीं है। लेकिन फिर भी इसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।

कैसे हुई अप्रैल फूल की शुरुआत

अप्रैल फूल डे यानि मूर्खता दिवस की शुरुआत कैसे हुई और सबसे पहले इसको कहां व कैसे मनाया गया, ये सवाल सभी के मन में आता है। अप्रैल फूल डे के शुरुआत को लेकर कोई एक मान्‍यता या स्‍टोरी नहीं है, इसको लेकर कई अनेक मान्‍यताएं हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता ब्रिटेन के लेखक चॉसर की पुस्तक द कैंटरबरी टेल्स की एक कहानी पर आधारित है।
चॉसर ने अपनी इस पुस्तक में कैंटरबरी का उल्लेख किया है जहां 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकेंड और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई 32 मार्च 1381 को आयोजित किए जाने की घोषणा की जाती है। कैंटरबरी के जन-साधारण इसे सही मान लेते हैं यद्यपि 32 मार्च तो होता ही नहीं है।

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इस प्रकार इस तिथि को सही मानकर वहां के लोग मूर्ख बन जाते हैं, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस अर्थात अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा। वैसे तो अप्रैल फूल डे पश्चिमी सभ्यता की देन है लेकिन यह विश्व के अधिकांश देशों सहित भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

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