केंद्र सरकार ने रेलवे बजट को अलग से पेश करने की पुरानी प्रथा को खत्म करने का फैसला लिया है। अब अगले वित्त वर्ष से रेलवे बजट अलग से नहीं बल्कि आम बजट के साथ ही पेश होगा। ये भी कह सकते हैं कि यह अब आम बजट का ही हिस्सा होगा। इस तरह 1924 से चली आ रही 92 साल पुरानी परंपरा को खत्म कर दिया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक, वित्त मंत्रालय भी रेलवे बजट को आम बजट में शामिल करने के लिए राजी हो गया है। TOI के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने सही फैसले पर पहुंचने के लिए पांच सदस्यों की टीम बनाई थी। उन्हीं की रिपोर्ट पर सब हुआ है। सुरेश प्रभु ने भी मंगलवार को राज्य सभा में कहा था कि उन्होंने वित्त मंत्रालय और वित्त मंत्री अरुण जेटली से रेल बजट को खत्म करने को कहा है। प्रभु ने कहा था कि इससे आने वाले वक्त में देश को आर्थिक फायदा होगा।
अब क्या होगा: अब रेलवे को भी वित्त मंत्रालय की तरफ से पैसा दिया जाएगा। जैसा कि बाकी मंत्रालयों को दिया जाता है। अब रेलवे द्वारा किए जा रहे खर्चे और कमाई पर वित्त मंत्रालय की भी नजर रहेगी।
रेलवे बजट की परंपरा कोई आज की नहीं है। यह ब्रिटिश काल से चली आ रही है। सबसे पहले नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबराय और किशोर देसाई ने रेल बजट को खत्म करने के बारे में कहा था।
































































