अगले सत्र में देश में नई शिक्षा नीति अस्तित्व में आ जाएगी। सर्वसम्मति से बनी यह नीति सामाजिक न्याय और गुणवत्तापरक शिक्षा का तानाबाना बुनेगी। इस नीति के लागू होने के बाद लोगों को RIGHT TO EDUCATION का असली लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। यानी पैसे बिना कोई शिक्षा से कोई वंचित नही रहेगा। चाहे कोई भी विद्यालय हो, वहां अच्छी शिक्षा मिल सकेगी। यह बात हम नहीं कह रहे..बल्कि ये कहना है देश के केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर का।
मंगलवार को मांडा में आयोजित लाल बहादुर शास्त्री सेवा निकेतन के स्वर्ण जयंती समारोह ंत्मेंरी शिरकत करने आए केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुणवत्तापरक शिक्षा पर जोर देते हुए ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ का आह्वान किया। कहा कि परीक्षा पास करने का क्या मतलब, जब विषय का ज्ञान ही न हो। अब एक कानून बनाकर शिक्षा को नियमबद्ध किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी और अमीर एवं गरीब साथ बैठकर शिक्षा ग्रहण करेंगे।
शिक्षा की दुर्दशा पर जताई चिंता, गुणवत्ता पर दिया जोर
जावडेकर ने राज्यों की बोर्ड परीक्षाओं में नकल का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए। मै खुद सरकारी स्कूल का छात्र रहा हूं। उस समय शिक्षा की ऐसी दुर्दशा नहीं थी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को जननेता बताते हुए कहा कि उनके आहवान पर लोगों ने सोमवार का व्रत रहना शुरू कर दिया था। उसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आहवान पर 1.20 करोड़ लोगों ने गैस की सब्सिडी छोड़ दी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं की परीक्षा के पैटर्न में अगले सेशन से बदलाव होगा। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कम से कम 5वीं व 8वीं तक के बच्चों के सीखने की क्षमता जानने के लिए एक परीक्षा का आयोजन होना चाहिए। इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर सेंट्रल कैबिनेट को जल्द ही भेजा जाएगा। हालांकि राज्य सरकारें अपने परीक्षा पैटर्न तय करने के लिए स्वतंत्र होंगी। सर्वशिक्षा अभियान का लक्ष्य सिर्फ बच्चों को स्कूल भेजने से नहीं पूरा होगा। उनके लिए गुणवत्तापरक शिक्षा भी सुनिश्चित करनी होगी।