बद्रीनाथ धाम के खुले कपाट, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी करेंगे पहला रुद्राभिषेक

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बद्रीनाथ

भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के बीच शनिवार को सुबह 4.15 बजे खोल दिए गए हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा अपने पूरे शबाब पर पहुंच चुकी है। सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं..पूरे धाम को फूलों से सजाया गया है..और अब इंतजार है महामहिम के आने का। जी हां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज बद्रीनाथधाम पर पहुंच रहे हैं। यहां आज वो पहला रुद्राभिषेक करेंगे।

इस दौरान बद्रीनाथ में सबसे पहले द्वार पूजा की जाएगी। द्वार पूजा के बाद कुबेर संग भगवान मंदिर में प्रवेश करेंगे। इसके बाद डिमरी पंडित माता लक्ष्मी को प्रतिष्ठित करेंगे। मुख्य पुजारी के नेतृत्व में पूरा कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा।

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राष्ट्रपति का पूरा कार्यक्रम

बदरीनाथ में राष्ट्रपति की सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। सुबह करीब सवा सात से मंदिर परिसर को जीरो जोन कर दिया गया और मंदिर परिसर से श्रद्धालुओं को हटा दिया गया। साथ ही आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन रोक दिए गए हैं। राष्ट्रपति के लौटने के बाद ही श्रद्धालु फिर से दर्शन कर सकेंगे।

इससे पहले राजभवन में विश्राम करने के बाद सुबह करीब सवा सात बजे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से वह सुबह करीब सवा सात बजे सेेना के विशेष विमान से बदरीनाथ के लिए रवाना हुए थे। सुबह करीब 8.25 पर उनके हेलीकॉप्टर ने बदरीनाथ धाम में बनाए गए सेना के हेलीपैड पर लैंड किया। उनके साथ प्रदेश के राज्यपाल डॉ. केके पॉल, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत भी हैं।

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शुक्रवार को राष्ट्रपति आइजीएनएफए के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए देहरादून पहुंचे थे। यहां उन्होंने राजभवन में रात बिताई। आज राष्ट्रपति बदरीनाथ के लिए रवाना होंगे। बदरीनाथ में पूजा-अर्चना के बाद वह सीधे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचेंगे और वहां से दिल्ली रवाना होंगे।

बद्रीनाथ धाम की विशेषता

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पहले दिन शनिवार को बद्रीनाथ मंदिर के कपाट दिनभर खुले रहेंगे। बद्रीनाथ धाम, बदरीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। यह धाम अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ, ऋषिकेश से करीब 294 किलोमीटर की दूरी पर है। बद्रीनाथ धाम छोटा चार धाम यात्रा का प्रमुख तीर्थस्थल है। हिंदुओं में इस धाम की बहुत मान्यता होती है। बद्रीनाथ 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह ठंड के दौरान बर्फ से ढंक जाता है। गर्मियों में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा के दौरान इसे खोला जाता है।