ये खबर उन नेताओं के लिए एक बड़ा झटका है, जिनपर संगीन आरोप दर्ज हैं और उऩपर लगे आरोप साबित हो चुके हैं। क्योंकि ऐसे नेताओं को चुनावी मैदान से दूर रखने की योजना बनाई जा रही है। निर्वाचन आयोग ने केन्द्र सरकार से सिफारिश की है कि अपराधियों को राजनीति में आने से रोकने के लिए उन्हें चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए। आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि ऐसे लोग जो अपराधों में लिप्त हों और उचित अदालत द्वारा उनपर आरोप तय किए गए हों, तो उन्हें चुनाव के लिए अयोग्य करार दे देना चाहिए।
आयोग ने केन्द्र सरकार को चुनाव सुधारों पर 109 पन्नों का प्रस्ताव भेजकर जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की मांग की है। मौजूदा समय में अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं है। रोक उसी स्थिति में है जब वह अदालत से 2 वर्ष से ज्यादा की सज़ा के साथ दंडित हो जाएं।
आयोग ने कहा कि गंभीर अपराधों में लिप्त व्यक्तियों के चुनाव लड़ने से हमारी चुनाव प्रक्रिया के बारे में बहुत ही नकारात्मक संकेत जाता है। कई ऐसे लोग चुनाव जीतकर लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में पहुंच जाते हैं। जो बेहद अवांछित है और इसे तुरंत सुधारना चाहिए।
आयोग ने ये भी कहा कि वो अपराधी न्याय शास्त्र से अनभिज्ञ नहीं है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति तब तक निर्दोष है, जब तक वह अदालत से ंदित नहीं हो जाता। लेकिन प्रस्तावित सुधार व्यापक जनहित में नहीं हैं। जो व्यक्तिगत हितों से हमेशा ऊपर होते हैं।