नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार(1 नवंबर) को एक अहम फैसला देते हुए कहा कि मतदाता को किसी भी उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता के बारे में जानने का बुनियादी अधिकार है और सही जानकारी न देने पर उम्मीदवार के चुनाव को निरस्त किया जा सकता है।
जस्टिस ए आर दवे और और जस्टिस एल नागेश्वर राव ने एक फैसले में व्यवस्था दी, ‘प्रत्याशी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानना हर मतदाता का मौलिक अधिकार है। जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और फार्म 26 में भी यह स्पष्ट है कि यह प्रत्याशी का कर्तव्य है कि वह अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में सही जानकारी दे।’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी कि यदि चुनाव में दो प्रत्याशी हैं और यह साबित हो गया कि जीतने वाले उम्मीदवार का नामांकन पत्र गलत तरीके से स्वीकार किया गया है तो चुनाव हारने वाले प्रत्याशी को यह सबूत देने की जरूरत नहीं है कि चुनाव वास्तव में प्रभावित हुआ है।
बेंच ने कहा कि जीतने वाले प्रत्याशी का नामांकन गलत ढंग से स्वीकार करने और किसी अन्य प्रत्याशी का नामांकन गलत तरीके से स्वीकार करने में अंतर है। चुनाव मैदान में सिर्फ दो प्रत्याशियों के होने और चुनाव में दो से अधिक प्रत्याशियों के होने के मामलों में भी अंतर है।
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