अब तक पासपोर्ट बनवाने के लिए आपको कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन अब नए नियम आने से ये प्रक्रिया और आसान हो जाएगी। विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट बनाने को लेकर नया नियम जारी किया है। इसके तहत अब से जन्म तारीख लिखे आधार या ई-आधार को पासपोर्ट आवेदन के दौरान प्रूफ के रूप में स्वीकार किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले लोगों को सहूलियत देने के लिए प्रक्रिया को आसान और उदार बनाया है। पासपोर्ट रूल्स 1980 के नियमों के अनुसार 26 जनवरी 1989 को या इसके बाद जन्मे सभी आवेदनकर्ता पासपोर्ट के लिए बर्थ सर्टिफिकेट को जन्म तिथि के दस्तावेज के रूप में पेश करना होता था। लेकिन अब जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार/नगर निगम/ स्कूल टीसी/ 10वीं कक्षा की परीक्षा का सर्टिफिकेट भी सबमिट किए जा सकते हैं। इसके अलावा पैन कार्ड या पे पेंशन ऑर्डर भी स्वीकार किए जाएंगे।
केंद्र सरकार ने साधु और संन्यासियों को एक खास राहत दी है। अपनी जड़ों से वंचित यह लोग पासपोर्ट की अर्जी दाखिल करते समय फॉर्म में अपने माता-पिता के नाम की जगह अपने धार्मिक गुरु का नाम लिख सकते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि संत और संन्यासी अपने माता-पिता की जगह अपने गुरु का नाम लिखकर पासपोर्ट की अर्जी दाखिल कर सकते हैं। इसके लिए हालांकि उन्हें एक सार्वजनिक दस्तावेज दिखाना होगा। इसमें मतदाता परिचय पत्र (ईपीआईसी), पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि शामिल हैं जिनमें उनके गुरु का नाम उनके माता-पिता वाली जगह पर हो।
मंत्रालय ने अर्जी देने वाले को माता-पिता में से किसी एक का नाम देने की भी इजाजत दे दी है। अभी तक माता-पिता, दोनों का नाम दिया जाना अनिवार्य था। सरकार ने साल 2016 की शुरुआत में पासपोर्ट बनाने की प्रकिया को भी आसान बना दिया था। इसके तहत केवल चार दस्तावेजों के आधार पर एक सप्ताह के अंदर पासपोर्ट बन जाएगा। केन्द्रीय विदेश मंत्रालय के अनुसार आधार कार्ड, मतदाता फोटो पहचान पत्र, पैन कार्ड कॉपी और आपराधिक रिकॉर्ड न होने का एफिडेविट देना होगा। इससे पहले पासपोर्ट बनने में एक महीने का समय लगता था। साथ ही पहले पुलिस सत्यापन किया जाता है।
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