दिल्ली हाईकोर्ट ने आज आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से पूछा कि भूमि आवंटन पट्टा स्थितियों के तहत गरीब मरीजों को अनिवार्य रूप से मुफ्त इलाज देने से कथित रूप से इंकार करने वाले निजी अस्पताल पर जुर्माना तय करने का तरीका क्या है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने यहां ‘फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट्स इंस्टीट्यूट’ की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा “जुर्माना कौन तय करेगा? तय करने का तरीका क्या होगा?’’ इस अस्पताल पर गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज करने से कथित रूप से इनकार करने पर सौ करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया गया था।
अदालत ने यह सवाल उस समय पूछा जब दिल्ली सरकार ने पिछले साल 10 दिसंबर को एक बैठक में असली रिकॉर्ड नहीं रखे जिसके आधार पर यह राशि तय की गई थी। दिल्ली सरकार ने फोर्टिस के अलावा दिल्ली के चार अन्य निजी अस्पतालों मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (साकेत), धरमशिला कैंसर अस्पताल, शांति मुकुंद अस्पताल और पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट से गरीबों को मुफ्त इलाज देने से कथित रूप से मना करके कमाया गया ‘‘अनुचित लाभ’’ जमा करने को कहा था। सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से एक अगस्त को उसके सामनेसंबंधित बैठक के रिकार्ड रखने को कहा।