गृह मंत्रालय ने दो वरिष्ठ IPS अधिकारियों को ‘काम में कोताही बरतने’ की वजह से हमेशा के लिए बर्खास्त कर दिया है। ऐसी कड़ी कार्रवाई करीब दो दशक बाद की गई है। गहन आकलन में पाया गया कि कथित तौर पर ‘काम में कोताही करने’ के कारण वे सेवा में बने रहने ‘योग्य नहीं’ हैं।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1998 बैच के अधिकारी मयंक शील चौहान और छत्तीसगढ़ कैडर के 1992 बैच के अधिकारी राजकुमार देवांगन को अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम — 1958 के तहत ‘‘समय से पहले सेवानिवृत्ति’’ दे दी गई है।
जनसत्ता की खबर के मुताबिक दोनों अधिकारियों के सेवा प्रदर्शन की विस्तृत समीक्षा के बाद ‘‘जनहित’’ में यह कार्यवाही की गई है। दोनों की सेवा के 15 साल पूरे हो चुके हैं। अधिकारी ने बताया, ‘‘IPS अधिकारियों के प्रदर्शन की समीक्षा काम में कोताही करने वाले अधिकारियों को बाहर करने के लिए की गई थी।’’ गृह मंत्रालय जो कि IPS ऑफिसर्स के कैडर्स को कंट्रोल करती है उसने इस सिफारिश को मान लिया है।
अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की दो बार सेवा समीक्षा की जाती है। पहली सेवा के 15 वर्ष पूरा होने पर और फिर 25 वर्ष पूरा होने पर। अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम – 1958 के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श कर और सेवा के सदस्य को कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देकर या इस तरह के नोटिस के बदले तीन महीने के वेतन और भत्ते का भुगतान कर जनहित में सदस्य को सेवानिवृत्त कर सकती है।’