गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा, इस साल सुरक्षा बलों ने चुन-चुन कर ढेर किए आतंकवादी

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गृह मंत्रालय

गृह मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 2 अक्तूबर तक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 56.6 प्रतिशत ज्यादा आतंकी मारे गए हैं। पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के ढांचे जस के तस हैं और सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश जारी है, जो सुरक्षा बलों के लिए कड़ी चुनौती है। हालांकी सच्चाई ये भी है कि इस साल सुरक्षाबलों के हताहत होने के आंकड़े में भी इजाफा हुआ है। पर अच्छी बात ये है कि आम नागरिकों के हताहत होने की संख्या घटी है।

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गृह मंत्रालय के अनुसार, साल 2015 में 80 बार घुसपैठ की कोशिश हुई। अगस्त 2016 तक ये 165 हो गई। वर्ष 2015 में घुसपैठ की 222 बार कोशिश हुई, जबकि 2016 में यह 121 बार हुई। हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को 8 जुलाई को एक मुठभेड़ में मारे जाने पर हिंसक प्रदर्शन और संघर्ष शुरू होने के बाद से अब घाटी के हालात में सुधार आया है। बुरहान की मौत के बाद से कश्मीर घाटी खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। पूरे दक्षिण कश्मीर और मध्य तथा उत्तर कश्मीर के कुछ हिस्सों में सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया।

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इस वर्ष 8 जुलाई से 16 अगस्त तक कानून व्यवस्था से जुड़ी 2186 घटनाएं हुईं। इनमें 2 सुरक्षाकर्मी और 70 नागरिक मारे गए। इस दौरान 8803 नागरिक तथा सुरक्षा बल के 5880 जवान घायल हुए। इस दौरान 75 नागरिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रदर्शनों के दौरान 44 सरकारी प्रतिष्ठानों को आग के हवाले कर दिया गया तथा 52 को क्षतिग्रस्त किया गया। शुरुआती दौर में 10 जिलों में कफ्र्यू के बावजूद अनाज, चीनी, दूध, फल, सब्जी, रसोई गैस, किरोसिन और पेट्रोल आदि की 80 से 95 प्रतिशत आपूर्ति की गई। जम्मू-कश्मीर करीब ढाई दशक से आतंकी और अलगाववादी हिंसा से प्रभावित है। इसे सीमापार से समर्थन और प्रायोजित किया जा रहा है।

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