सरकार की वादाखिलाफी से टूटे पाकिस्तानी रिफ्यूजी, नागरिकता देने का था वादा, मिला सिर्फ पहचान पत्र

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आपको यह जानकर हैरानी होगी की जम्मू कश्मीर की नागरिकता पाना अमेरिका की नागरिकता से भी मुश्किल है। दूसरे शब्दों में कहें तो अमेरिका में एक निर्धारित अवधि में रहने के बाद आपको नागरिकता मिल जाती है,  पर जम्मू कश्मीर में पिछले 70 सालों से रह रहे इन लाखों रिफ्यूजियों को आज भी नागरिकता नहीं मिली है।

यह भी एक कड़वा सच है कि 70 सालों से जम्मू कश्मीर में रह रहे वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी सिर्फ संसदीय चुनावों में ही मतदान कर सकते हैं और नगर पालिका तथा विधानसभा सीटों के लिए होने वाले मतदान करने से वे वंचित हैं। राज्य सरकार की नौकरियों में भी उन्हें कोई अधिकार नहीं है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो राज्य के नागरिकों को मिलने वाली सुविधाएं उनसे दूर रखी गई हैं।

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने करीब आठ वर्ष पहले जम्मू में एक रैली में कहा था कि वह भी पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी हैं और आज देश के प्रधानमंत्री हैं। गुलाम नबी आजाद राज्य के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने विधानसभा में कहा था कि पश्चिमी पाक के शरणार्थियों के साथ बे-इंसाफी हुई है। नागरिकता के लिए जम्मू कश्मीर के संविधान में संशोधन करना पड़ता है। इसके लिए दो तिहाई बहुमत जरूरी है। उन्होंने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई, लेकिन कोई सहमति नहीं बन सकी। आजाद ने उस समय भरोसा दिलाया था कि उनको डोमिसाइल सर्टिफिकेट (अधिवास प्रमाणपत्र) दिए जाएंगे, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ। वेस्ट पाक रिफ्यूजी फ्रंट के प्रधान लब्बा राम गांधी का कहना है कि कश्मीर केंद्रित पार्टियां जानबूझ कर नागरिकता देने के मामले में रोड़े अटका रही है।

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वीडियो में देखिए – सरकार की वादाखिलाफी से टूटे पाकिस्तानी रिफ्यूजी सड़कों पर उतरे और किया प्रदर्शन

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