पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए जम्मू-कश्मीर के शरणार्थियों के लिए कभी न पूरी होने वाली आस बनकर रह गया है। आजादी के बाद से लेकर आज तक…करीब 70 साल से ये लोग इंतजार कर रहे हैं कि शायद इन्हें भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिले लेकिन सोमवार को एक बार फिर इनका सपना उस वक्त टूट गया जब ये सरकार अपने वादे से पलट गई।
बीजेपी ने भी इन्हें नागरिकता दिलवाने के नाम पर हमेशा वोट बटोरे थे पर सरकार अब इस मामले में यू टर्न ले चुकी है। दरअसल बीजेपी ने पीडीपी के समक्ष घुटने टेकते हुए इन रिफ्यूजियों को स्थाई नागरिकता देने के बजाय एक प्रमाण थमा दिया है। इन रिफ्यूजियों का कोई मसला हल होता नजर नहीं आया, क्योंकि उन्हें पक्के तौर पर राज्य का नागरिक बनाए जाने का मुद्दा पीडीपी के दबाव के चलते ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और उसके स्थान पर उन्हें डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने की घोषणा कर दी गई। यह सर्टिफिकेट पाकर भी खुश होने वाले इन रिफ्यूजियों को उस समय झटका लगा जब कांग्रेस और नेकां समेत अन्य राजनीतिक दलों ने हुर्रियत के विरोध का समर्थन कर डाला।
आपको बता दें कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का अधिकार जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को है। केंद्र इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
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