दिल्ली: भारत और सिंगापुर ने आतंकवाद और इसे बढ़ावा, समर्थन एवं धन देने वालों का मुकाबला करने का आज संकल्प लेते हुए कहा कि आतंकी हरकतों के लिए कोई औचित्य नहीं हो सकता।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके सिंगापुर के समक्ष ली एच. लूंग ने माना कि आतंकवाद शांति एवं स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। ली की भारत यात्रा के दौरान जारी एक संयुक्त बयान में यह कहा गया है।
इसमें कहा गया है कि मंगलवार की वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने जोर दिया कि किसी भी आधार पर आतंकी हरकतों का कोई औचित्य नहीं हो सकता।
ली ने उरी हमले में शहीद हुए जवानांे के परिवारों और भारत सरकार के प्रति अपनी संवेदना जताई। इस हमले में 19 सैनिक शहीद हुए थे।
ली ने कहा कि सिंगापुर आतंकवाद के सभी रूप की सख्त निंदा करता है।
बयान में कहा गया है, ‘‘दोनांे प्रधानमंत्रियांे ने वैश्विक आतंकवाद, आतंकी संगठन और नेटवर्कों तथा इन्हें बढ़ावा, समर्थन और वित्त प्रदान करने वाले सभी के खिलाफ लड़ने का अपने संकल्प को दृढ़ किया। उन्होंने आतंकवाद पर बहुपक्षीय कार्रवाई में नयी जान फूंकने की अपील की, जिसमें यथाशीघ्र संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर काम्प्रीहेंसिव कंवेंशन को अंतिम रूप देना और उसे स्वीकार किया जाना भी शामिल है।’’ ली की पांच दिनों की यात्रा कल संपन्न होगी। इसके तहत दोनों देशों के बीच तीन सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर भी हुए हैं जिनमें एक बौद्धिक संपत्ति अधिकार से जुड़ा हुआ है।
मोदी और ली ने आतंकवाद निरोध, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और मादक पदार्थ की अवैध तस्करी जैसी साझा सुरक्षा चिंताओं का हल करने में जारी सहयोग पर संतोष जताया।
दोनांे प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग मजबूत करने की अहमियत को मान्यता दी।
मोदी ने सिंगापुर एक्सजेंच में ‘मसाला बॉन्ड्स’ को सूचीबद्ध किए जाने का स्वागत किया और ली को बुनियादी ढांचा के क्षेत्र में भारत में निवेश बढ़ाने की कोशिशों से अवगत कराया।
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर गर्मजोशी के साथ, सौहार्द्रपूर्ण और दोस्ताना माहौल में व्यापक चर्चा की।
ली ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के तौर पर भारत की कोशिश का समर्थन जारी रखने की बात कही।