सरन ने कहा कि ‘‘रूस के साथ सैन्य अभ्यासों की हमारी नियमित प्रणाली है। हम पिछले कुछ साल से रूस के साथ इन अभ्यासों को करते आ रहे हैं और करते रहेंगे। दोनों पक्षों की संबंधित एजेंसियों ने इन अभ्यासों का खाका तैयार किया है। यह अगले साल भी जारी रहेगा।’’
पाकिस्तान के साथ रूस के संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर भारत ने उसके साथ अप्रसन्नता जाहिर की है। हालांकि रूसी अधिकारियों ने इन चिंताओं को तवज्जो नहीं दी है और कहा कि वे क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी इस तरह के सैन्याभ्यास करते रहे हैं।
सरन के बयान आगामी शनिवार को गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की द्विपक्षीय बैठक से पहले आये हैं। पुतिन 14 अक्तूबर को भारत पहुंचेंगे। वह द्विपक्षीय बैठक के अलावा 16 अक्तूबर को ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के सम्मेलन में शामिल होंगे।
रूस ने पाकिस्तान के साथ पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास सितंबर में खबर-पख्तूनखवा क्षेत्र में किया था। सरन ने कहा कि जहां तक परमाणु सहयोग की बात है, संबंध ऐतिहासिक रहे हैं।