कानपुर रेल हादसे में अबतक 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, पिछले छह साल में देशभर में हुई रेल दुर्घटनाओं में कानपुर की घटना सबसे भीषण है। एक ही झटके में 130 लोग काल का ग्रास बन गए। वहीं 180 लोग घायल हो गए। घायलों में 75 लोगों की हालात बेहद गंभीर बताई जा रही है। चारों तरफ खून, लाशें, चीख-पुकार, आंसू और मातम पसरा हुआ है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि इस ट्रेन हादसे में लापरवाही सबसे बड़ी वजह सामने आई है। क्योंकि ट्रेन के ड्राइवर ने दावा किया कि उसने झांसी में ही अधिकारियों को खतरे के संकेत दिए थे। लेकिन अफसरों ने फोन पर कहा कि किसी तरह कानपुर पहुंच जाओ, सवाल ये खड़ा होता है कि खराब ट्रेन को कानपुर तक घसीटने के आदेश आखिर क्यों दिए गए। क्या कोई और विकल्प नहीं था कि यात्रियों को उनकी मंजिल तक सुरक्षित पहुंचाया जा सके। क्या जरूरत थी लोगों की जान पर खेलने की।
अफसरों की लापरवाही जानकर आप जरूर हैरान रह गए होंगे। अब आगे देखिए। दरअसल जिस वक्त ये घटना घटी उस वक्त ट्रेन की स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा था। ओवरहेड इलेक्टिक केबल में तेज धमाका सुनकर, ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। क्या एक बार भी ड्राइवर ने नहीं सोचा कि 110 किलोमीटर की स्पीड पर अगर अचानक ब्रेक लगेंगे तो ट्रेन का क्या हश्र होगा। इसे जल्दबाजी कहें या फिर बेवकूफी… सच्चाई यही है कि इमरजेंसी ब्रेक लगने से तेज गति से दौड़ रही ट्रेन बेकाबू हो पटरियों से उतर गई। और 14 डिब्बे एक दूसरे पर चढ़ते चले गए।
जो लोग बोगियों के अंदर सवार थे उनकी हालत बद से बदलत हो गए। किसी के जिस्म की धज्जियां उड़ गईं तो कोई झुलस गया और किसी की हड्डियों का चूरा हो गया। इस हादसे में जान और माल का क्या कुछ नुकसान हुआ है इसका अंदाजा भी हम और आप नहीं लगा पाएंगे क्योंकि वो हुआ वो बेहद बदतर था।
इतना तो तय है कि इस हादसे ने सिस्टम की कलई खोलकर रख दी। सीना ठोंककर जो लोग देश में बुलेट ट्रेन का सपना देख रहे हैं सवाल ये है कि इस हाल में ये सपना भला कैसे साकार हो पाएगा? आखिर कब और कैसे लोग ट्रेन में सुरक्षित सफर की उम्मीद कर पाएंगे? आखिर कब और कैसे भारतीय रेलवे अंदर की खामियों को दूर करने और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा देने में कारगर साबित हो पाएगा। सवाल कई हैं लेकिन अफसोस कि इन सवालों को जवाब ना तो भारतीय रेलवे के पास है और ना ही सरकार के पास।
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