देश के सात राज्यों में आज यानी 19 नवंबर को उपचुनाव हो रहा है। 500-1000 के नोटबंदी के बाद यह पहला चुनाव है। इसमें बीजेपी की जीत-हार पर काफी कुछ निर्भर करेगा। असम, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगल में लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है और अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु और त्रिपुरा, पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हो रहा है। चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर दी हैं। वोटों की गिनती 22 नवंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल में दो लोकसभा क्षेत्रों और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। ये उपचुनाव कूचबिहार एवं तामलुक लोकसभा क्षेत्रों और मोंटेश्वर विधानसभा क्षेत्र में हो रहे हैं। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, वाम मोर्चा और कांग्रेस ने तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस और माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे ने अप्रैल-मई विधानसभा चुनाव साथ में लड़ा था, बहरहाल इस बार के उपचुनावों के दौर में दोनों ने अलग अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया। उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान के आखिरी चरण में नोटबंदी एक अहम मुद्दा बन गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन उपचुनावों के लिए प्रचार नहीं किया और इसकी जिम्मेदारी अपनी पार्टी के अन्य नेताओं पर छोड़ दी।
त्रिपुरा की दो विधानसभा सीटों ( बरजाला और खोवाई) पर उपचुनाव है। कांग्रेस में आंतरिक कलह के चलते पार्टी विधायक जितेंद्र सरकार के इस्तीफे के बाद बरजाला (अनुसूचित जाति आरक्षित) सीट रिक्त हो गई थी जबकि दिग्गज माकपा नेता समीर देब के निधन के बाद खोवाई सीट में उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी। बरजाला निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और अमरा बंगाली के उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में होने से इस सीट पर बहुकोणीय मुकाबला होने वाला है। खोवाई सीट से भी इन्हीं दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं। बरजाला विधानसभा सीट में 48 मतदान केंद्रों पर 39,007 मतदाता अपने मतों का इस्तेमाल करेंगे जबकि खोवई सीट के 52 मतदान केंद्रों पर 39,400 मतदाता अपने मतों का प्रयोग करेंगे।