दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी यानी JNU में पिछले दो महीने से लापता छात्र नजीब अहमद को ढूंढने के लिए पुलिस ने खूब पसीना बहाया लेकिन नजीब का कहीं कोई सुराग हाथ नहीं लग पाया। आखिरकार नजीब अहमद के परिजनों से 20 लाख की फिरौती मांगने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, छात्र के परिवार ने इस तरह का कोई फोन कॉल आने से इंकार किया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त रवींद्र यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के महराजगंज से व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है लेकिन आरोपी की पहचान स्थापित नहीं हो पाई है। अधिकारी ने बताया कि व्यक्ति ने नजीब के परिजनों को तीन दिन पहले फोन किया था और 20 लाख की फिरौती मांगी थी।
सूत्रों ने बताया कि अपराध शाखा के एक दल ने डीसीपी जी राम गोपाल नायक की निगरानी में आरोपी के स्थान का पता लगाया था। हालांकि नजीब के परिवार के एक सदस्य ने कहा, ‘‘हमें फिरौती मांगने वाली कोई भी कॉल नहीं आई है।’’
कहां फंसा है पेंच ?
पुलिस का दावा है कि आरोपी ने नजीब के परिवार से 20 लाख की फिरौती मांगी जबकि घरवालों का कहना है कि हमसे कोई फिरौती नहीं मांगी गई। आखिर क्या है मामला ?
इसी बीच वे छह छात्र भी पोलिग्राफी टेस्ट के लिए सहमत नहीं हुए हैं, जिनसे इसके लिए मंजूरी मांगी गई थी। छात्रावास में नजीब के कमरे में साथ रहनेवाला छात्र मोहम्मद कासीम ने भी झूठ पकड़ने वाले इस परीक्षण के लिए हामी नहीं भरी है। हालांकि कासीम पहले इस परीक्षण के लिए तैयार हो गया था। सवाल ये है कि आखिर किसके प्रेशर में आकर कासीम ऐसा कर रहा है ? आखिर क्यों कासीम पोलिग्राफी टेस्ट से बच रहा है।
अहमद, जेएनयू के एमएसी बायोटेक्नोलॉजी का छात्र है और 15 अक्तूबर से लापता है। छात्र के गायब होने से पहले उसका झगड़ा कथित रूप से एबीवीपी के सदस्य छात्रों के साथ जेएनयू कैंपस के छात्रावास में हुआ था।