मोदी सरकार ने जनता को cashless का मतलब समझाने में खर्च किए 94 करोड़… आ गई निशाने पर

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केंद्र सकार ने कैशलेस इकनॉमी के प्रचार प्रसार के लिए लगभग 94 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस खर्च को लेकर कई लोग यह कह रहे हैं कि महज़ ढाई महीने में 94 करोड़ प्रचार प्रसार के नाम पर जिस तरह से फूंक डाले गए यह कैशलेस की जानकारी दी गई, या नोटबंदी के मुद्दे को मैनेज कराने की कोशिशें थी।

हिंदी न्यूज़ पोर्टल इंडिया संवाद की खबर के मुताबिक नोटबंदी के बाद सरकार ने डिजिटल भुगतान के प्रचार पर करीब 94 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। प्रचार के जरिए लोगों को कैशलेस भुगतान और ऑनलाइन बैंकिग की तरफ आकर्षित करने के लिए कार्यक्रम चलाए गए। सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राज्यसभा में बृहस्पतिवार को एक लिखित जवाब में इसकी जानकारी दी। सरकार अभी तक 93,93,28,566 रुपए खर्च कर चुकी है। 8 नवंबर को की गई नोटबंदी के बाद से सरकार ने डिजिटल पेमेंट की तरफ लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की।

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दरअसल, राठौड़ ने बताया कि 9 नवंबर 2016 से इस साल 25 जनवरी तक जारी विज्ञापनों के लिए डीएवीपी ने 14.95 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि डीएवीपी में अखबारों को कैशलेस भुगतान करने की परंपरा रही है।

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सरकार ने गांव में भी डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम चलाए। डिजिटल पेमेंट को सरल बनाने के लिए BHIM ऐप भी लॉन्च किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगभग हर मंच से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की बात करते दिखे। उन्होंने युवाओं से भी कहा कि वह डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए बाकी लोगों को पेमेंट करने का सरल तरीका बताएं। 26 जनवरी को भी सरकार ने उन युवाओं का खास सम्मान किया था जो डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे थे। नोटबंदी के दौरान जब कैश की दिक्कत थी तो शहरों में ज्यादातर लोगों ने डिजिटल पेमेंट के जरिए अपनी परेशानी को कम करने का काम किया गया था।

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CISF भी सरकार की डिजिटल मुहिम में जुड़ गया है। डीजी CISF ओपी सिंह ने बताया कि उन्होंने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) से अनुबंध कर लिया है। अब CISF जितना भी पेट्रोल-डीजिल लेगा उसकी पेमेंट डिजिटली करेगा। उन्होनें कहा कि इसके चलते सिस्टम और पारदर्शी होगा।

इस खबर में हेडलाइन के अलावा कोबरापोस्ट की टीम का इनपुट नहीं है, ये खबर इंडिया संवाद के हवाले से प्रकाशित की गई है।