वहीं पूर्ववित्त मंत्री और अर्थशास्त्री पी. चिदंबरम ने भारत सरकार से उन मजदूरों और किसानों के लिए मुआवजे की मांग कर डाली जिन्होंने कथित तौर पर इस नोटबंदी के कारण अपनी रोजी रोटी गंवाई है। उन्होंने कहा कि फाइनेंस सेक्रेटरी, बैंकिंग सेक्रेटरी, चीफ इकॉनमी एडवाइजर किसी को भी इस फैसले के बारे में कुछ नहीं पता।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने 70 दिनों में एक शब्द नहीं कहा। कब आरबीआई ने ये मीटिंग की, 10 स्वतंत्र महानिदेशकों में सात स्थान खाली हैं। कैबिनेट मीटिंग का कोई रिकॉर्ड नहीं है, कैबिनेट नोट कहां है? जब तक पीएम ने टीवी पर नोटबंदी के फैसले का ऐलान नहीं किया, मंत्रियों को कैदियों की तरह रखा गया। उन्होंने पूर्व आरबीआई गवर्नर के बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘पूर्व गवर्नर ने कहा था कि इस संस्थान की स्वायत्ता पर खतरा है। जीडीपी गिर गई है।
आरबीआई ने भी कहा है… पर केवल वित्त मंत्री ऐसे शख्स हैं जिन्होंने कहा कि जीडीपी नीचे नहीं गई पर मैं कहना चाहूंगा कि 1 प्रतिशत से देश को 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि मनमोहन सिंह जी ने संसद में कहा है कि अनुमान लगाया जा रहा है कि अर्थव्यवस्था 25 प्रतिशत तक गिर सकती है इसलिए कांग्रेस पार्टी को आम आदमी के लिए आवाज उठाना चाहिए क्योंकि आम आदमी की किसी समस्या को उठाना हमारा काम है। किसी भी काम या बात जो आम आदमी को परेशान करती है उसकी आवाज हमें उठानी चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करते तो हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।