कश्मीर को शांति और एकता के साथ आगे ले जाने की आवश्यकता: मोदी

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नरेंद्र मोदी इंटरव्यू

 

दिल्ली:

विकास और विश्वास को कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए बेहद अहम बताते हुए प्रधानमंत्री ने आज रात उम्मीद जतायी कि घाटी के युवा गुमराह नहीं होंगे।

घाटी में चल रही अशांति के बीच उन्होंने कश्मीर को शांति और एकता के साथ आगे ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि यह असल मायने में धरती का स्वर्ग बना रहे।

उन्होंने नेटवर्क 18 के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘:वर्तमान अशांति का: बीज आजादी के दौरान ही बोया गया। हर सरकार को इस समस्या का सामना करना है। यह कोई नयी समस्या नहीं है बल्कि पुरानी है। ’’ उनसे पूछा गया था कि घाटी की समस्या का समाधान कैसे किया जाए।

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मोदी ने कहा कि इस समस्या का हल ढूंढा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर को विकास और विश्वास की जरूरत है। देश के 125 करोड़ लोग विकास देने को तैयार हैं और विश्वास की कभी कमी नहीं रही।’’ उन्होंने कहा कि विकास और विश्वास के आधार पर आगे बढ़ना है और वह इस मोर्चे पर विश्वास से भरे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि कश्मीरी युवक गुमराह नहीं होंगे और वह शांति, एकता एवं सद्भाव के साथ आगे बढ़ेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि कश्मीर जन्नत बना रहेगा। ’’

मोदी से जब इस आशंका के बारे में पूछा गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में ध्रुवीकरण होगा और इसे लघु राष्ट्रीय चुनाव के रूप में देखा जाता है तो उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा हमेशा विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ती है और वह इन चुनाव को भी विकास के मुद्दे पर लड़ेगी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में जातिवाद और संप्रदायवाद के जहर ने काफी नुकसान पहुंचाया है। वोटबैंक की राजनीति ने हमारे देश को बर्बाद कर दिया। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान वोटबैंक की राजनीति का नहीं बल्कि विकास की राजनीति का माहौल था । समाज का एक बड़ा वर्ग उस ओर झुक गया। संभवत: उत्तर प्रदेश में लोग विकास और उत्तर प्रदेश के लाभ को ध्यान में रखकर मतदान करेंगे। ’’ उन्होंने कहा कि किसानों और गांवों के कल्याण और युवकों के वास्ते रोजगार के लिए भी विकास जरूरी है।

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प्रधानमंत्री ने देश को आगे ले जाने के लिए शांति, एकता और सद्भाव की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में हर चीज को चुनाव और राजनीति से जोड़ा जा रहा है।

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उन्होंने कहा, ‘‘यदि एक या सवा साल पहले निर्णय लिए जाते हैं तो उसे भी चुनाव से जोड़ दिया जाता है। ’’ उन्होंने सुपर राजनीतिक पंडितों पर प्रहार करते हुए कहा कि एसी वाले कमरों में बैठे से लोग राजनीति नहीं छोड़ सकते हैं और प्रिसक्रिप्शन करते रहे हैं