नई दिल्ली। धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा को तोड़े मरोड़े जाने की बात कहते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार(25 सितंबर) को जनसंघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय का हवाला दिया और कहा कि मुस्लिमों को ‘अपना’ माना चाहिए और उन्हें वोटबैंक की वस्तु के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
मुसलमानों तक पहुंच बनाने की पहल करते हुए मोदी ने भाजपा की बैठक में कहा कि वे ‘घृणा के पात्र नहीं’ हैं और न ही उन्हें ‘‘वोट मंडी की वस्तु’’ के रूप में देखा जाना चाहिए, बल्कि उनके साथ ‘अपनों’ की तरह से व्यवहार करना चाहिए।
भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का मिशन ‘सबका साथ, सबका विकास’ कोई राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि समाज के अंतिम पायदान पर खडे व्यक्ति का कल्याण सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है।
अपने भाषण में मोदी ने धर्मनिरपेक्षता, संतुलित एवं समावेशी विकास और चुनाव सुधारों की जरूरत के बारे विस्तार से चर्चा की और दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जन्मशती पर उन्हें नमन किया।
उन्होंने कहा कि इन दिनों इसकी परिभाषा को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है। यहां तक कि इन दिनों राष्ट्रवाद को भी कोसा जाता है। दीन दयाल उपाध्याय के जीवन एवं योगदान का जिक्र करते हुए मोदी ने उनका हवाला देते हुए कहा कि मुसलमानों को न पुरस्कृत करों और न ही फटकारों। उन्हें सशक्त बनाओ। वे न तो वोट बैंक की वस्तु हैं और न ही घृणा की सामग्री। उन्हें अपना समझो।
प्रधानमंत्री ने जनसंघ के दिनों के बाद से पार्टी की यात्रा को याद किया और इस बात पर जोर दिया कि हमने विचारधारा के साथ कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा विचारधारा से समझौता करती तब काफी पहले सत्ता हासिल कर लेती।
मोदी ने कहा कि कोई भी अछूत नहीं है और अगर कोई मनुष्य आहत होता है तब पूरे समाज को इसकी पीड़ा की अनुभूति होनी चाहिए।
































































