पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल एक हथियार की तरह करता है: विदेश सचिव

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दिल्ली

 विदेश सचिव एस जयशंकर ने आज रात कहा कि दक्षिण एशिया में ‘‘नजदीकी एवं व्यापक’’ सहयोग बनाने के भारत के प्रयासों में पाकिस्तान से मिलने वाली ‘‘अनूठी चुनौती’’ के कारण प्राय: अड़चनें पैदा हो जाती है। पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल राजनय की नीति में एक हथियार की तरह करता है।

पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि दक्षेस में भारत द्वारा की जाने वाली सभी प्रमुख पहलों, भले ही वह संर्पक बढ़ाने के बारे में हो या कुछ अन्य क्षेत्रों में गहरा संबंध कायम करने के बारे, का कोई नतीजा इस्लामाबाद द्वारा पैदा की जाने वाली अड़चनों के कारण नहीं निकलता। उन्होंने कहा कि आतंकवाद इस समस्या के मूल में है।

विदेश सचिव ने पाकिस्तान को एक ऐसा देश बताया जिसका क्षेत्र के बारे में न केवल भिन्न दृष्टिकोण है बल्कि वह आतंकवाद को राजनय की नीति में एक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है जिससे वह हम सभी के लिए एक मुश्किल भागीदार बन गया है।

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जयशंकर यहां फारेन करस्पोंडेंट क्लब में पत्रकारों के साथ परिसंवाद कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने विदेश नीति के मोर्चे पर आने वाले विभिन्न चुनौतियों से संबंधित मुद्दों तथा अमेरिका, रूस एवं चीन सहित प्रमुख ताकतों के साथ भारत के संबंधों के बारे में चर्चा की।

उन्होंने पड़ोस पहले की भारत की नीति की चर्चा करते हुए कहा कि भले ही भारत क्षेत्र के विकास में सुनिश्चित करने को लेकर गंभीर रहा हो, क्षेत्र की राजनीति प्राय: सामने आ जाती है। जयशंकर ने कहा, ‘‘भले ही हम सभी इस बात पर सहमत हैं कि हमें आगे बढ़ना चाहिए, किन्तु यह हर बार सुगमता से नहीं होता क्योंकि हमारे पड़ोसियों की घरेलू राजनीति के कारण चुनौतियां आती हैं। हमनें धर्य रखना सीखा है तथा राजनय एवं धर्य के मेल से हमने कठिन परिस्थितियों को बीतते देखा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पड़ोस को एक देश को लेकर एक अनूठी चुनौती का स्पष्ट रूप से सामना करना पड़ता है और यह देश है पाकिस्तान।’’ उन्होंने कहा कि इस समस्या के मूल में आतंकवाद है।

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भारत पाक संबंधों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले दो सालों में पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए हर प्रयास किये हैं। ‘‘आपने पिछले दो सालों में देखा होगा कि पाकिस्तान से संपर्क कायम करने में हमारी तरफ से काफी प्रयास किये गये तथा संबंधों के बीच आने वाले कई मुद्दों पर साझा आधार निकालने का प्रयास किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसे अंतिम बार दिसंबर में किया गया था जब विदेश मंत्री एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए थे तथा हमारे बीच व्यापक द्विपक्षीय वार्ता को लेकर सहमति बनी थी। हमें उम्मीद थी कि यह इस साल जनवरी में होगी।’’ इसके बाद पठानकोट आतंकवादी हमला हो गया।

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विदेश सचिव ने कहा कि समस्या यह है कि आतंकवाद मुद्दा इतना प्रमुख बन गया है कि संबंधों को समग्रता से बढने में बहुत दिक्कत आने लगती है। उन्होंने पठानकोट आतंकवादी हमले की जांच में धीमी प्रगति, सीमा पार से लगातार हो रही घुसपैठ एवं हमलों का भी उल्लेख किया।

विदेश सचिव ने अमेरिका, रूस एवं चीन के साथ भारत के संबंधों की भी चर्चा की। उन्होंने विभिन्न बहुपक्षीय मंचों का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो सालों में भारत के विदेशी संबंधों में बदलाव आया है। उन्होंने भारत अफगानिस्तान मित्रता बांध के पूर्ण होने तथा भारत द्वारा काबुल में संसद भवन के निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि यह विदेशों में प्रमुख परियोजनाओं को लागू करने में सरकार के बदले हुए रूख का संकेत है।