चरमपंथ की नई लहर में सुलगता कश्मीर, पहले से ज्यादा खतरनाक हुए हालात

0
2 of 4
Use your ← → (arrow) keys to browse

बासित डार जैसे कई छात्र और किशोर लड़के पिछले कुछ समय में चरमपंथ से जुड़ गए हैं। पिछले साल लगभग डेढ़ सौ चरमपंथी घाटी में मारे गए। इनमें ज्यादातर स्थानीय नौजवान थे।

हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता यासीन मलिक कहते हैं, “ये वे बच्चे हैं जिन्होंने 2008 और 2010 के शांतिपूर्ण आंदोलन में भाग लिया था और जिन्हें सुरक्षा बलों ने निशाना बनाया. सुरक्षा बल नई पीढ़ी को चरमपंथ की तरफ धकेल रहे हैं।”

इसे भी पढ़िए :  केजरीवाल की शिकायतों से परेशान ऋषि कपूर बोले, 'अपना नाम कम्पलेंट बॉक्स क्यों नहीं रख लेते'

 

हिंसा और राजनीतिक गतिरोध के वातावरण में कश्मीरियों की नई पीढ़ी चरमपंथी की ओर आकर्षित हो रही है। मिलिटेंसी का ज़्यादा असर इस बार दक्षिण कश्मीर में है जो अपने सेब के बागानों के लिए जाना जाता है।

इसे भी पढ़िए :  जम्मू के नजदीक पाकिस्तानी विमान ने किया भारतीय सीमा में प्रवेश

चरमपंथी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद पुलवामा ज़िले में ज़बरदस्त प्रदर्शन हुए थे, इन प्रदर्शनों के दौरान सैकड़ों लोग घायल हुए। इनमें कई किशोर लड़के भी थे।

इसे भी पढ़िए :  कश्मीर अशांति में मरने वालों की संख्या 47 हुई, पांच जिलों में कर्फ्यू जारी

ऐसे एक लड़के ने बताया, “मेरे पूरे शरीर में छर्रे लगे हैं. यहाँ बहुत अत्याचार हो रहा है. हमें स्कूलों से उठा लेते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो भागना पड़ेगा।” यह कहते हुए उसका चेहरा एकदम सपाट था, भावशून्य।

2 of 4
Use your ← → (arrow) keys to browse