नई दिल्ली। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता को प्राथमिकता बताते हुए भारत ने गुरुवार(15 सितंबर) को कहा कि विकास और स्वच्छ उर्जा जैसे मुद्दों पर उसके और चीन के बीच कोई मतभेद रिपीट मतभेद नहीं होना चाहिए। एक दिन पहले ही बीजिंग ने कहा था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले किसी देश विशेष को एनएसजी में शामिल करने पर उसने अभी अपनी स्थिति तय नहीं की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा कि ‘‘दोनों पक्षों ने एनएसजी की सदस्यता के मुद्दे पर महत्वपूर्ण और व्यावहारिक तरीके से विचारों का आदान प्रदान किया। एनएसजी की सदस्यता असैन्य परमाणु उर्जा के लिए हमारी योजनाओं की वजह से भारत के लिए प्राथमिकता है।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘विकास और स्वच्छ उर्जा जैसे कुछ मुद्दों पर दोनों पक्षों में कोई भेद नहीं होना चाहिए।’’ चीन और भारत ने इसी सप्ताह निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में आपसी हित के विषयों पर चर्चा की। इसमें 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत के प्रवेश पर ध्यान केंद्रित किया गया।
स्वरूप ने कहा कि दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई है कि दोनों पक्षों को एक दूसरे की चिंताओं और प्राथमिकताओं पर परस्पर संवेदनाओ के साथ इन मुद्दों पर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘‘विचार विनिमय एक दूसरे के नजरिये की समझ बढ़ाने में उपयोगी होगा और जारी रहेगा।’’ प्रवक्ता के अनुसार दोनों पक्षों की यह राय भी है कि सदस्यता के मुद्दे पर सोल में एनएसजी के पूर्ण सत्र के बाद प्रक्रिया तेज कर दी गयी है और इसका समर्थन होना चाहिए।
स्वरूप ने कहा कि ‘‘यह पूरी दुनिया को दिखा सकता है कि भारत और चीन रणनीतिक परिपक्वता के साथ ऐसे मुद्दों पर काम करते हैं और किसी तरह के मतभेद करे दूर करने और सुलझाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।’’
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कल बीजिंग में मीडिया से कहा था कि भारत और चीन अभी एनएसजी में किसी देश विशेष के शामिल होने के मामले में सहमति पर नहीं पहुंचे हैं।