गौरतलब है कि मंगलवार रात को भारत की तरफ से साफ कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्क देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान नहीं जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए कहा था कि ‘वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित बैठक में हिस्सा नहीं ले सकती।” जिसके बाद बुधवार को दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क (SAARC) की अध्यक्षता कर रहे नेपाल ने मामले का निस्तारण करने के लिए 19वें समिट को पाकिस्तान से बाहर कराने की मांग की। चार देशों के बायकॉट के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने काठमांडू में एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई थी। कहा जा रहा था कि मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि एक ऐसी कोशिश की जाए जिसके जरिए सदस्य देशों को भरोसा हो जाए कि सार्क सम्मेलन को लेकर विवाद खत्म हो गया है।
सार्क आम सहमति के सिद्धांत पर कार्य करता है। ऐसे में अगर एक भी देश समिट से खुद को बाहर कर लेता है तो सम्मेलन अपने आप कैंसिल हो जाएगा। पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को देखते हुए सार्क सम्मेलन रद्द किया जा चुका है।