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उसने कहा कि जिन्ना की 141वीं जयंती (25 दिसंबर) से संबंधित ‘कायदे आजम और बच्चे’ कार्यक्रम आयोजित किया गया और प्रतिवादियों ने गत 14 दिसंबर को उससे कार्यक्रम में ‘पाकिस्तान का मुस्तकबिल’ विषय पर भाषण देने का अनुरोध किया था जिसकी रिकार्डिंग 22 दिसंबर को की जानी थी। लेकिन 22 दिसंबर को हैदर को भाषण देने नहीं दिया गया।
बाद में हैदर को बताया गया कि भाषण एक दूसरे स्कूल की लड़की देगी और जब उसने वह भाषण दिया तो हैदर को एहसास हुआ कि वह उसका लिखा भाषण था। हैदर के वकील ने इसे ‘चोरी’ बताते हुए मामले को बौद्धिक संपदा अधिकारों एवं कॉपीराइट आदि का उल्लंघन करार दिया और मांग की कि प्रतिवादियों को इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया पर भाषण पेश करने से रोका जाए।
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