रब्बानी ने कहा कि अफगानिस्तान को नहीं लगता कि हिंसा और आतंक जल्द ही खत्म होगा क्योंकि ‘तालिबान और उसके सहयोगी समूह पाकिस्तान में मौजूद तत्वों से मिलने वाले साजो सामान, आर्थिक सहयोग और मिलने वाली सामग्री पर फलते-फूलते हैं।’
काबुल यह लगातार कहता आया है कि आतंकवाद को अफगानिस्तान या कहीं और तब तक नहीं हराया जा सकेगा, ‘जब तक अच्छे और बुरे आतंकियों के बीच अंतर करना जारी रहेगा’ और आतंकियों की शरणस्थलियों की समस्या को नहीं सुलझाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘चूंकि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है, हमने हमारे खिलाफ हथियार उठाकर खड़े उन तत्वों के साथ शांति और मैत्री के अवसर का द्वार बंद नहीं किया है, जो हिंसा छोड़ने के लिए तैयार हैं। फिर भी हम यह जानते हैं कि सफलता की संभावना इस बात पर निर्भर है कि पाकिस्तान की सरकार चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई के लिए किस हद तक तैयार है।’
पाकिस्तान में शरण पाए हुए आतंकी समूहों के बारे में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हिंसा में वृद्धि दिखाती है कि आतंकवादी समूहों को ‘कहीं और से’ लगातार सहयोग मिल रहा है वरना वे कई प्रांतों में एक ही समय पर लड़ने में समर्थ न होते। उन्होंने इस साल मई में पाकिस्तान में हवाई हमले में मारे गए तालिबानी नेता का हवाला देते हुए कहा, ‘हमने देखा कि उनका नेता मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर कहां मारा गया।’ रब्बानी ने कहा, ‘उनकी शरणस्थलियां, ठिकाने पाकिस्तान में कहीं हैं। पाकिस्तानी नेतृत्व को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये समूह उन इलाकों में संचालन न करें।’