नई दिल्ली: कश्मीर मुद्दे पर इस बार बेशर्मी की हद पार करते हुए, पाकिस्तान आज काला दिवस मना रहा है। कश्मीर घाटी में सेना से मुठभेड़ में ढेर हिजबुल कमांडर बुरहान वानी और उसके बाद विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के बाद पाकिस्तान के इस रवैए का भारत में कड़ा विरोध हो रहा है।सोमवार को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के दिन तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने इसके लिए पाकिस्तान पर नाराजगी जाहिर की। इस मसले पर विपक्ष भी मोदी सरकार के साथ खड़ी दिखी।
राज्यसभा में कश्मीर पर चर्चा से पहले कांग्रेस की सांसद अंबिका सोनी ने सरकार की जबान में ही कहा कि पाकिस्तान हमारे अंदरुनी मामलों में दखल न दे। वहीं राजीव शुक्ल ने पाकिस्तान पर बरसने के साथ ही सरकार की भी खिंचाई की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पर मोदी सरकार की विदेश नीति ठीक नहीं है। उन्हें सही कदम उठाना चाहिए।
आरजेडी सांसद प्रेमचंद गुप्ता ने कहा कि जम्मू कश्मीर के जो हालात बने हुए हैं, उस पर सरकार के कदम ठीक नहीं हैं। पाकिस्तान हमारे मामले में कोई बात नहीं कर सकता है। उसके हालात खराब हैं. शरीफ सरकार इसका फायदा उठा कर जनता के बीच खड़ी है।वहीं बीएसपी प्रमुख और राज्यसभा सदस्य मायावती ने इस बारे में बारे में बड़ा बयान देते हुए खुद को सरकार के साथ खड़ा बताया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में तो हिंदुओं की हालात बहुत खराब है। केंद्र सरकार इस मामले में कदम उठाए। हम उसके साथ हैं।
दूसरी ओर एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि अगर पाकिस्तान 19 जुलाई को काला दिवस मना रहा है तो हम विजय दिवस मनाएंगे। इसके बाद हर रोज एक आतंकी मारा जाएगा और हम रोजाना विजय दिवस मनाएंगे। क्या पाकिस्तान इतने काला दिवस मनाने के लिए तैयार है?राउत ने कहा कि 50 साल से बोला जा रहा है पर वहां के हालात नहीं बदले। भारत को तो पाकिस्तान से अपने सारे रिश्ते तोड़ लेने चाहिए। चाहे राजनीतिक हो या क्रिकेट का।