पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र के लोगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान के बाद केंद्र सरकार देशभर में रह रहे POK के विस्थापित लोगों के लिए दो हजार करोड़ का पैकेज बनाने जा रही है। ताकि POK से आए विस्थापितों को ठीक ढंग से पुर्नवास कराया जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय जल्द ही पैकेज को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रख सकता है।
36,348 परिवारों को मिलेगा लाभ
जम्मू कश्मीर सरकार ने पैकेज वितरण के लिए 36,348 परिवारों की पहले ही पहचान कर ली है जिसके तहत प्रत्येक परिवार को लगभग साढे पांच लाख रपये मिलेंगे। अधिकारी ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि एक महीने के भीतर पैकेज को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल जाएगी और कोष लाभार्थियों में बांटा जा सकेगा। पश्चिमी पाकिस्तान, ज्यादातर POK से आए शरणार्थी जम्मू, कठुआ और राजौरी जिलों के विभिन्न हिस्सों में बस गए हैं। हालांकि वे जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुसार राज्य के स्थाई निवासियों की श्रेणी में नहीं आते। कुछ परिवार 1947 में भारत के बंटवारे के समय विस्थापित हो गए थे और अन्य परिवार 1965 तथा 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्धों के दौरान विस्थापित हुए थे।
लोकसभा चुनाव में डाल सकते हैं वोट, विधानसभा चुनाव में नहीं
विस्थापित लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में वे वोट नहीं डाल सकते। POK के विस्थापित लोगों का प्रतिनिधित्व कर रही जम्मू कश्मीर शरणार्थी कार्य समिति (जेकेएसएसी) का कहना है कि पैकेज को अंतिम बंदोबस्त नहीं समझा जाना चाहिए क्योंकि उन सभी के बंदोबस्त के लिए 9,200 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
जम्मू कश्मीर में बसे पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों की समस्याओं पर विचार करने के बाद मोदी सरकार ने जनवरी 2015 में शरणार्थियों के लिए कुछ रियायतें मंजूर की थीं। रियायतों में इन लोगों को अर्धसैनिक बलों में भर्ती करने के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने, राज्य में समान रोजगार अवसर उपलब्ध कराने, शरणार्थियों के बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला देने जैसे कई कदम शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चर्चा के लिए 12 अगस्त को आयोजित सर्वदलीय बैठक में पहली बार POK, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान के लोगों की दशा के बारे में बात की थी।