2007 rएक्सप्रेस ब्लास्ट की जांच कर रहे एसआईटी के मुखिया विकास नारायण राय का कहना है कि ‘हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि समझौता एक्सप्रेस बम ब्लास्ट में सिमी नहीं बल्कि आरएसएस के सुनील जोशी का ग्रुप शरीक था।’एक इंटरव्यू में हरियाणा पुलिस के पूर्व डायरेक्टर जनरल राय ने इस घटना की लबी जांच के बारे में बताया।उन्होने कहा कि ‘जांच के दौरान कई एजेंसियां ऐसी थीं जिन्होने हमारा कोई सहयोग नहीं किया। लेकिन हमें इस बात के पक्के सबूत मिले कि जोशी और उनके ग्रुप ने ही समझौता एक्सप्रेस में वो विस्फ़ोटक रखा था जिसने उस ट्रेन को आग की लपटों में झोंक दिया था।जोशी उस समय आरएसएस के प्रचारक थे।लेकिन 29 दिसंबर साल 2007 को दो अज्ञात लोगों ने बम से हमलाकर के उनकी उस समय हत्या कर दी थी जब वो देवास के चूना खदान स्थित अपने निवास के बाहर टहल रहे थे’। राय ने कहा कि ‘ये कहना कि उस ब्लास्ट में किसी हिंदू का नहीं बल्कि किसी मुस्लिम का हाथ था,सरासर गलत है।’
इस मामले में राय मीडिया से भी खफ़ा दिखें। दर-असल एक निजी खबरिया चैनल ने समझौता एक्सप्रेस के बारे में बात करने के लिए राय को अपने स्टूडियो में आमंत्रित किया था, लेकिन उस 25 मिनट के इंटरव्यू में से राय की वो सभी बातें हटा दी गई जो उन्होने इस केस की छानबीन के दौरान पाया था और इंटरव्यू के दौरान बताया था।उनकी जगह एक दूसरे पुलिस अधिकारी का इंटरव्यू चलाया गया जो कह रहे थे कि समझौता एक्सप्रेस में किसी हिंदू का नहीं बल्कि मुस्लिम का हाथ है।राय ने कहा ‘ये सरासर गलत है’
राय ने आगे कहा कि ‘मैं 35 सालों से पुलिस की सर्विस में हूं, लेकिन ये देख कर हैरान हूं कि इस मामले में मीडिया ने बिना कुछ भी जांचे परखे कैसे स्तरहीन और गलत रिपोर्टिंग की।’ राय ने ये भी कहा कि ‘मेरे इंटरव्यू को कांट छांट कर चलाने का सीधा सा मतलब ये है कि सच्चाई के साथ खिलवाड़ किया गया- और ऐसा या तो पैसों के लिए किया गया य फ़िर राजनीतिक दबाव में।’
अखबार को दिए इंटरव्यू में राय ने समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट की जांच के हर पहलू के बारे में विस्तार से बात की।उन्होने बताया कि ‘कई विस्फ़ोटकों को एक साथ रखा गया था ताकी चलती ट्रेन में आग तेज़ी से फ़ैले। ये बम कई सूटकेस में रखे गए थे।’ राय ने कहा कि ‘जांच के दौरान हमें एक सूटकेस मिला भी था,उसमें रखा बम फ़ट नहीं पाया थाव ये सूटकेस इंदौर के रघुनंदन अटैची शॉप का बना था’। इंदौर का नाम आते ही हमारा पहला शक सिमी पर गया क्योंकि उस समय इंदौर सिमी का गढ़ माना जाता था।हमें लगा कि इस विस्फ़ोट में किसी मुस्लिम ग्रुप का ही हाथ है। अटैची की वो दुकान एक मुस्लिम की ही थी। उस दुकान में दो लडके काम करते थे।उनमें से एक हिंदू था और दूसरा मुस्लिम।हमने जब उनसे पूछताछ की तो उन्होने बताया कि दो लोग उनकी दुकान में वो सूटकेस खरीदने के लिए आए थे। सूटकेस खरीदने के अगले दिन वो दोनों फ़िर से दुकान पर आए। अबकी बार उन्हे सूटकेस का कवर खरीदना था। दर-असल वो नहीं चाहते थे कि कोई उन्हे सूटकेस के साथ देखे।’ राय ने बताया कि ‘सूटकेस में जो बम रखा गया था उसे बनाने के तमाम समान भी उसी दुकान के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाली दुकानों से लिए गए थे।’
राय ने कहा कि ‘जब हमने उन दो लड़कों से अलग अलग बात की तो कुछ और भी तथ्य निकल कर सामने आए। उनमें से एक लड़के ने हमें बताया कि सूटकेस लेने आए दोनों लोग हिंदू लग रहे थे, और इंदौर के लोकल लहजे में बात कर रहे थे। इससे ये साफ़ था कि वो दोनों इंदौर के ही थे।ये जानकारी मिलने के बाद हमने कई लोगों पर शक करना शुरू किया।कुछ लोगों पर नजर भी रखी जाने लगी। लेकिन हमें एक बड़ा क्लू तब मिला जब इंदौर के एक कारोबारी सुनील जोशी की हत्या कर दी गई। हमें पता चला कि सुनील जोशी, प्रज्ञा ठाकुर का करीबी था। सुनील की हत्या दो अज्ञात लोगों ने की थी।उन दोनों को आज भी गिरफ़्तार नहीं किया जा सका है। हमारे पास उनकी कोई पहचान नहीं है।हम ये भी नहीं जानते कि वो जिंदा है या फ़िर देश छोड़ कर फ़रार हो गए’।राय ने बताया कि ‘जांच के दौरन स्वामी असीमानंद का नाम भी सामने आया था।’
राय ने आगे बताया कि ‘अभी तक की जांच से दो बातें हमारे सामने आ चुकी थीं -पहली कि समझौता केस में जोशी का हाथ था और दूसरी कि इसमें सिमी या पाकिस्तान का हाथ नहीं था’।
‘इसके बाद जांच रोक दी गई’ – राय ने बताया- ‘और इसकी वजह ये थी कि मध्य प्रदेश-खास तौर से इंदौर-की पुलिस ने हमारे साथ असहयोग का रवैया अख्तियार कर लिया था’।राय का कहना था कि ‘इंवेस्टिगेशन के सिलसिले में हम कई बार कई कई दिनों तक इंदौर में रूके रहे,लेकिन लोकल पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया। कई पुलिसवालों ने मुझसे अकेले में ये बात कही कि हमारी जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है।कुछ पुलिस वालों ने -ऑफ़ दी रिकॉर्ड- हमारी मदद भी की। लेकिन इससे ज्यादा वो पुलिस वाले कुछ नहीं कर सकते थे’।
राय ने कहा कि ‘मालेगांव और बाकी के विस्फ़ोटों की जांच के बारे में गृहमंत्रालय में एक मीटिंग हुई थी जिसमें ये बात उठी थी इन विस्फ़ोटों में हिंदू आतंकियों का हाथ हो सकता है’।राय ने बताया कि ‘मक्का मस्जिद विस्फ़ोट (हैदराबद 2007)के मामले में जांच अधिकारियों ने कई बेकसूर मुस्लिम लड़कों को गिरफ़्तार किया गया, जिन्हे बाद में अदालतों ने बरी कर दिया था’। राय इस बात की पुष्टी करते हैं कि ‘मक्का मस्जिद केस में गलत लड़कों को पकड़ा गया, और ठीक वहीं हालत समझौता एक्सप्रेस केस की भी है।इस मामले में भी एनाआईए ने ऐसे लोगों को पकड़ा जिनके खिलाफ़ कोई सबूत नहीं था और जो बाद में छूट गए ‘
राय ने महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे के साथ हुई एक लंबी बातचीत का भी जिक्र किया।राय ने बताया ‘करकरे उन दिनें मालेगांव धमाकों की जांच कर रहे थे।उन्होने मुझे बताया था कि जांच के दौरान उन्हे कई ऐसे सबूत मिले जो ये इशारा कर रहे थे कि मांलेगांव विस्फ़ोट में हिंदू चरमपथियों का हाथ है।करकरे ने मुझे बताया कि वो सबूत से सबूत जोड रहे हैं और जल्द ही पूरे तथ्यों को एक साथ रखेंगे’।राय ने बताया ‘लेकिन ऐसा हो नहीं सका,और इसके थोड़े ही दिनों बाद मुंबई हमलों के दौरान करकरे की मौत हो गई’। राय का कहना था ‘मध्य प्रदेश पुलिस के असहयोग की वजह से हमारी जांच एक अहम मोड़ पर आकर रूक गई। बाद में इस केस को एनआईए को दे दिया गया।’एनआईए ने भी सुनील जोशी के खिलाफ़ चार्जशीट दाखिल किया था .. समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में एनआईए ने भी सुनील जोशी को एक अहम कड़ी माना था ‘