हमले के दो दिन बाद रुकमन को अहसास हुआ कि यह दंगा भड़काने की सोची समझी साजिश थी। उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हुआ वो कुछ उपद्रवियों का काम था जो अब एक धार्मिक समूह के यहां छुपते फिर रहे हैं।’ वहीं प्रेम नगर मदरसे के शिक्षक मोहम्मद इकराम ने कहा, ‘हमें ऐसा कुछ किये जाने की आशंका पहले से थी।’
इलाके में तनाव का माहौल शाम 7.30 बजे से बनना शुरू हो गया था जब खालिद और हसन के साथ मौजूद 14 साल का अब दुस सलाम भागते हुए यहां आया और सभी को घटना के बारे में बताया। कुछ अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि इलाके में मौजूद तीन युवक पिछले कुछ दिनों से यहां शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। रुकमन ने बताया कि वे ईद की कुर्बानी हमेशा बंद दरवाजे के पीछे देते हैं ताकि अन्य समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत ना हों। हम मवेशियों की चीख को भी दबाने की कोशिश करते हैं और उनके शरीर के लगभग सभी अंगों का इस्तेमाल करते हैं।
इकरम ने कहा कि खालिद और हसन एहतियात के तौर पर देर शाम मवेशियों के अवशेष बोरे में भर कर ले जा रहे थे ताकि बाद में किसी तरह की कोई मुसीबत ना हो। वैसे इलाके में गाय कुर्बान किए जाने की अफवाहें भी फैलाई जा रही थी लेकिन पुलिस की मुस्तैदी से उपद्रवियों को कोई मौका नहीं मिला।
उधर जिन युवकों पर पिटाई का आरोप लगा है, उनके परिवार वालों ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि खालिद और हसन अपने साथ मानव अवशेष लेकर जा रहे हैं। आरोपी नवीन, राजू, अभिषेक और देवेश ने पुलिस को बताया कि उन्हें किसी अनजान नंबर से गोरक्षक दल में शामिल होने के लिए फोन आया था। कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें दो गुटों में तनाव की जानकारी देते हुए फोन आया था।
कुछ फोन कॉल्स और वाट्सऐप मेसेज का नतीजा यह हुआ कि 25-30 लोगों की भीड़ जमा हो गई जिसने खालिद और हसन पर हमला कर दिया पर वक्त पर पुलिस की मुस्तैदी ने दोनों युवकों की जान बचा ली। शुक्रवार शाम तक प्रेम नगर में हालात पूरी तरह काबू में आ गए थे। इस बीच इस मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने पुलिस से जल्द रिपोर्ट मांगी है। आयोग के सदस्य प्रवीण दवार ने सरकार से घायलों का इलाज कराने और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।