लेकिन तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता की करीबी शशिकला को नहीं भूला जा सकता है। शशिकला और जयललिता का साथ शरीर और आत्मा का था। जयललिता को कब क्या चाहिए, क्या पहनेंगी, सबका प्रबंधन शशिकला की देखरेख में होता था। यही कारण है कि वह जयललिता की भरोसेमंद बनीं।
करीब तीन दशक पहले एक वीडियो पार्लर चलाने वाली शशिकला को जयललिता का साया माना जा रहा है। हालांकि बीच में दोनों के संबंधों के बीच काफी खटास आ गई थी। मगर बाद में दोनों एक साथ मिल गए। रिश्ते जुड़े पर मन पहले की तरह मिल नहीं पाए। दूरियां दोनों के दिलों में जगह बना चुकीं थीं। ऐसा भी कहा जाता है कि पार्टी में शशिकला के वफादारों की भी कमीं नहीं थी।
शशिकला की जयललिता से पहली मुलाकात तब हुई, जब वो एमजी रामचंद्र सरकार के दौरान पार्टी की प्रचार सचिव थीँ।शशिकला के पति रामचंद्रन सरकार के दौरान पार्टी की प्रचार सचिव थीं। शशिकला के पति एम. नटराजन सरकार में पीआरओ थे। उन्होंने आईएएस अधिकारी चंद्रलेखा की मदद से उनकी जयललिता से मुलाकात कराई। माना जाता है कि एमजीआर की मौत के बाद जयललिता को पार्टी में दरकिनार कर दिया गया, तब शशिकला उनके करीब आईं। नजदीकियां बढ़ीं तो दोनों साथ रहने लगीं।
साल 2011 में जया ने शशिकला को इस संदेह पर अपने घर से निकाल दिया कि उनके रिश्तेदार पार्टी की बागडोर अपने हाथों में लेने की साजिश रच रहे थे। लेकिन महज़ 100 दिन के अलगाव के बाद फिर दोनों साथ हो गईं।