मशहूर क्रिकेटर और कमेंटेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा मंजूर हो जाने के बाद वह अपनी पत्नी के साथ बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक वह पार्टी की ओर से पंजाब में सीएम पद के उम्मीदवार नहीं होंगे। बीजेपी सूत्रों ने भी सिद्धू के पार्टी छोड़ने की पुष्टि की है।
इसी साल 28 अप्रैल को सिद्धू ने राज्यसभा में मनोनीत सदस्य के रूप में पंजाबी में शपथ ली थी। वहीं संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन उच्च सदन की कार्यवाही के दौरान उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
इसी साल 28 अप्रैल को सिद्धू ने राज्यसभा में मनोनीत सदस्य के रूप में पंजाबी में शपथ ली थी। वहीं संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन उच्च सदन की कार्यवाही के दौरान उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके पहले बीजेपी की ओर से अमृतसर सीट से लोकसभा सांसद सिद्धू का टिकट 2014 आम चुनाव में काट दिया गया था। उनके बदले उस सीट से पार्टी के सीनियर नेता अरुण जेटली लड़े थे और हार गए थे।
लोकसभा चुनाव के वक्त चर्चा थी कि टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे सिद्धू आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं। सिद्धू को ‘एंटी बादल’ नेता माना जाता है। अकाली दल से सिद्धू की तकरार हरियाणा चुनावों के दौरान भी दिखी थी।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले इस बात के संकेत दिए थे कि सिद्धू को पंजाब बीजेपी में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है, लेकिन सिद्धू को राज्य में अहम जिम्मेदारी सौपकर वह अकाली दल से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते थे। इसलिए उन्हें बाद में राज्यसभा में मनोनीत कर दिया गया।
सिद्धू को बीजेपी से साइडलाइन किए जाने का असर उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू की बातों पर भी साफ दिखा था। उन्होंने एक कार्यक्रम में यहां तक कहा था कि अगर 2017 में होने वाले चुनावों में बीजेपी-अकाली दल का गठबंधन रहा तो लोग आम आदमी पार्टी को वोट देंगे।
नवजोत कौर सिद्धू अमृतसर-ईस्ट से बीजेपी की विधायक हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि बीजेपी और अकाली दल के एक साथ चुनाव प्रचार करने का कोई तुक नहीं है। पहली बार इंसान गलती कर लेता है, हमें पता है हम गलती नहीं दोहराएंगे ।’