सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शरद पवार और अनुराग ठाकुर की कुर्सी खतरे में

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आज यानि की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश में क्रिकेट बोर्डों में भ्रष्टाचार रोकने और फिक्सिंग जैसे मामले से निपटने के लिए लोढ़ा कमेटी की ज्यादातर सिफारिशों को मंजूर कर लिया है। इस सिफारिशों के लागू होने पर सबसे ज्यादा असर शरद पवार और अनुराग ठाकुर जैसे दिग्गजो पर पड़ेगा। इस सिफारिश में कहा गया है कि किसी मंत्री, ब्यूरोक्रेट या 70 से ज्यादा उम्र के लोगों को बोर्ड का मेंबर नहीं बनाया जाए। इस सिफारिश से शरद पवार जैसे सत्तर की उम्र पार चुके लोगों की स्टेट एसोसिएशंस से छुट्टी हो जाएगी। प्रेसिडेंट अनुराग ठाकुर जैसे ऑफिशियल्स को स्टेट एसोसिएशंस में अपनी पोस्ट छोड़नी होगी। कुल 7 ऑफिशियल्स को कोई न कोई पद छोड़ना होगा। इसके अलावा वन स्टेट-वन वोट और वन पर्सन-वन पोस्ट की सिफारिश भी मान ली गई है। इसका असर ये होगा कि अब रोटेशनल बेसिस पर महाराष्ट्र-गुजरात को भी वोटिंग के राइट्स मिलेंगे। हालांकि, बोर्ड को आरटीआई के दायरे में लाया जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इसका फैसला संसद पर छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को ये सिफारिशें अमल में लाने के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया है।

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हम आपको बता दें कि आईपीएल में फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज आर एम लोढ़ा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाया था। इस कमेटी का काम बीसीसीआई के साथ साथ राज्य के बोर्डों में भी हो रही भ्रष्टाचार रोकने और फिक्सिंग जैसे मामले को जड़ से कैसे खत्म किया जाए इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौपनी थी। कमटी ने इसी साल 4 जनवरी को अपनी सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी थी। केमेटी के कुछ सिफारिशों पर बीसीसीआई ने विरोध भी किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान बीसीसीआई के कामकाज और कमेटी के सिफारिशों के विरोध करने पर कड़ी टिप्पनी की थी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा था “आप कहते हैं कि बीसीसीआई में कैग नॉमिनी आईसीसी के नियमों को नहीं मानता। ऐसे में वे सरकारी नॉमिनी को मंजूर नहीं करेंगे। लेकिन आप सरकार के मंत्री को बोर्ड में चाहते हैं? आपने कहा कि लोढ़ा पैनल की रिपोर्ट बुनियादी कैरेक्टर और मेंबरशिप पर असर डालेगी। इसका मतलब आपको सुधार नामंजूर हैं?”

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