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याचिका में कहा गया है, ‘कार्यपालिका और न्यायपालिका का कोई व्यक्ति जब किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है तो उसे स्वत: निलंबित कर दिया जाता है और आजीवन सेवा पर रोक लगा दी जाती है। हालांकि, यह नियम विधायिका के दोषी व्यक्ति के मामले में अलग तरीके से लागू होता है।’
याचिका के मुताबिक 34 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित पड़े हुए हैं लेकिन इस समस्या के निपटारे के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है। उनमें से कम से कम 25 फीसदी सांसदों पर गंभीर और जघन्य अपराधों जैसे रेप, हत्या, हत्या की कोशिश, लूट, डकैती और फिरौती के मामले दर्ज हैं।
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