संपादकीय में कहा गया है कि अल्मीडा की रिपोर्ट को तो काल्पनिक बता दिया गया पर सरकार और सेना की मंगलवार को हुई बैठक में यह नहीं बताया गया कि आखिर क्यों मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है? बता दें कि पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी मसूद अजहर और 26/11 मुंबई हमले का गुनहगार लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी हाफिज सईद पाकिस्तानी सेना के संरक्षण में खुलेआम घूम रहे हैं।
संपादकीय में सख्त लहजे में पूछा गया है कि आखिर सरकार की हिम्मत कैसे हुई एक पत्रकार के साथ अपराधी जैसा बर्ताव करने की और वे कौन होते हैं यह तय करने वाले कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय हित में क्या है और क्या नहीं? संपादकीय में कहा गया है कि अल्मीडा के साथ हम मजबूती से खड़े हैं, उनकी कलम को और ताकत मिले।
वहीं डॉन अखबार ने भी अपने संपादकीय में कहा है कि वह अल्मीडा की खबर पर कायम है। अखबार ने गलत रिपोर्टिंग के सरकार के आरोपों को खारिज किया है।