उरी हमले में आतंकियों को मदद कर रहा था अंदर का भेदिया!

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एक सूत्र का कहना है कि, “ब्रिगेड मुख्यालय के अंदर घुसना बहुत मुश्किल है क्योंकि उसके चारों तरफ कड़ी सुरक्षा है, वो किले जैसा परिसर है। मुख्यालय से पूरी तरह परिचित आदमी ही किसी की नजर में आए बिना अंदर घुस सकता है। इसीलिए जांचकर्ता संभावित “अंदरूनी भेदिए” की पड़ताल कर रहे हैं। जांच के दायरे में कुलियों और टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को भी शामिल किया गया है। ”

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वहीं ब्रिगेड मुख्यालय के पास ही दुकान चलाने वाले एजाज़ अहमद कहते हैं कि बिना किसी की “मदद” के ऐसा हमला संभव नहीं। अहमद कहते हैं, “ब्रिगेड मुख्यालय के इतने करीब रहने के बावजूद हमें इसके बारे में कुछ नहीं पता तो एलओसी के पार से आने वाले ऐसा हमला कैसे कर सकते हैं? उन्हें इस जगह के बारे में पूरी सूचना रही होगी।” हमले के बाद स्थानीय कुली घर वापस नहीं गए। आम तौर पर वो शाम को घर लौट जाते हैं। उरी ब्रिगेड में करीब 500 कुली काम करते हैं। ज्यादातर कुली एओसी के करीबी गांवों के रहने वाले हैं।

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