उरी आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना और एनआईए ने चांज शुरू कर दी है। जांच एजेंसियों ने ऐसी संभावना जताई की है कि कोई अंदर का भेदिया आतंकियों की मदद कर रहा था। जनसत्ता की खबर के अनुसार, सेना को संदेह है कि 12 इन्फैंट्री ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए हमले के लिए आतंकियों को किसी ऐसे व्यक्ति ने मदद की हो जिसे कैम्प के बारे में अंदरूनी जानकारी रही हो।
सूत्रों के अनुसार आतंकियों को कैम्प के बारे में पूरी ख़बर थी। उन्हें ये तक पता था कि कैम्प के अंदर ब्रिगेड कमांडर का दफ्तर और कार्यालय किस जगह पर स्थित है। सूत्रों के अनुसार सेना आतंकियों के नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सुखदर से होते हुए उरी पहुंचने के रास्ते की भी पड़ताल कर रही है। करीब 500 आबादी वाला सुखदर गांव ब्रिगेड मुख्यालय से महज चार किलोमीटर दूर है। ऐसा लग रहा है कि गांव और ब्रिगेड मुख्यालय के बीच स्थित जंगल की वजह से आंतकियों को मदद मिली होगी।
सूत्रों के अनुसार आंतकियों ने जैसा घातक हमला किया उससे लगता है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की मदद मिली थी जिसे न केवल इस इलाके की बल्कि सैनिक टुकड़ियों की आवाजाही की भी पूरी जानकारी थी। सूत्रों के अनुसार आतंकियों ने पहले एलओसी पर लगी बाड़ को पार किया और उसके बाद ब्रिगेड मुख्यालय पर लगी बाड़ को, फिर सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पिकेट और चेकपोस्ट को।