पढ़िए- क्यों चुनाव आयोग ने मुलायम से छीन कर अखिलेश को दे दी साइकल और समाजवादी पार्टी?

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साइकिल
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25 साल पहले मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी की नींव रखी थी। लेकिन वक्त का फेर देखिए कि 25 साल पुरानी समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव के हाथ से निकल गई। चुनाव आयोग ने सोमवार को मुलायम के बेटे अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले धड़े को असली समाजवादी पार्टी मान लिया। समाजवादी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न साइकिल भी अखिलेश गुट के पास रहेगा।

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पहली जनवरी को सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुलायम को मार्गदर्शक घोषित किया था। आयोग के आदेश ने इस फैसले पर भी मुहर लगा दी है। सोमवार को फैसला आने से पहले ही अखिलेश गुट ने सपा कार्यालय में मुलायम के नाम के नीचे अखिलेश यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष की नेमप्लेट लगा दी थी। चुनाव आयोग के आदेश पर मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के अलावा दो अन्य चुनाव आयुक्तों के भी हस्ताक्षर हैं। यह फैसला चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत लिया गया।

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अखिलेश और मुलायम गुटों की दलीलों के बीच आयोग ने समर्थकों की संख्या के आधार पर फैसला लिया। मुलायम खेमे ने समर्थन के नाम पर कोई दस्तावेज नहीं सौंपा। जबकि अखिलेश ने सांसदों, विधायकों सहित 4716 लोगों के एफिडेविट सौंपे। खास बात ये भी है कि जहां एक तरफ मुलायम की तरह से 11 वकील पैरवी कर रहे थे वहीं सिर्फ 6 वकीलों के साथ लेकर अखिलेश ने पार्टी और साइकिल दोनों पर कब्जा जमा लिया।

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अगले स्लाइड में पढ़ें – आखिर क्यों मुलायम के हाथ से फिसली साइकल?

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