सिंगापुर में जीका वायरस के संक्रमित 115 केस पाए गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने 13 नागरिकों के भी प्रभावित होने की बात कही है। चीन ने अपने 21 लोगों और बांग्लादेश ने 6 लोगों के जीका से संक्रमित होने की बात कही है। एक गर्भवति महिला में भी जीका वायरस पॉजिटिव पाया गया। इसका इलाज चल रहा है। सिंगापुर में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर करीब 3 दर्जन मजदूरों में यह बीमारी सामने आई थी। ब्राजील में भी जीका के कई केस सामने आए थे। प्रेग्नेंट महिलाओं के इसकी चपेट में आने के बाद नवजात के सिर छोटे होने के मामले सामने आए थे।
फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन विकास स्वरूप ने बताया है कि सिंगापुर में 13 भारतीय नागरिक भी जीका टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। सिंगापुर की मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ और नेशनल एन्वायरन्मेंट एजेंसी (NEA) के मुताबिक यह महिला वायरस के प्रभाव वाले इंडस्ट्रियल इलाके में रहती थी। महिला में जीका के सिम्प्टम्स सामने आने के बाद बुधवार को हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टर उस पर और गर्भ में उसके बच्चे पर नजर रख रहे हैं।
सिंगापुर में बांग्लादेश के हाई कमीशन के मुताबिक हमारे 6 लोग जीका से प्रभावित हैं। इन सभी का इलाज चल रहा है। सिंगापुर में चीनी एम्बेसी के मुताबिक 21 सिटिजन्स में जीका पॉजिटिव पाया गया है। हालांकि उनकी हालत चिंताजनक नहीं है
सिंगापुर ने मच्छरों को पैदा होने से रोकने के लिए जमकर ऑपरेशन चला रखा है। अफसर घर-घर जाकर उन जगहों को देख रहे हैं जहां मच्छर पैदा हो सकते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर मच्छर मारने के लिए फॉगिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। NEA के अफसरों के मुताबिक सबसे पहले हम उन जगहों पर क्लीन ऑपरेशन चला रहे हैं। जहां सबसे पहले केस का पता चला था।
अमेरिका ने जीका पॉजिटिव प्रेग्नेंट महिला को लेकर वॉर्निंग दी है और कहा है वह सिंगापुर से बाहर नहीं जाऐ। वहीं ऑस्ट्रेलिया, ताइवान और साउथ कोरिया ने सिंगापुर जा रहे अपने सिटिजन्स को लेकर ट्रैवल अलर्ट जारी किया है।
जीका वायरस मच्छर से फैलने वाली बीमारियां जैसे डेंगू, येलो फीवर, वेस्ट नाइल वायरस की तरह यह भी खतरनाक है। बीते महीनों में ब्राजील के कई क्षेत्रों में इसने असर दिखाया है। साइंटिस्ट्स ने आशंका जताई थी कि अगर कोई महिला जीका वायरस से ग्रस्त शिशु को जन्म देती है। तो उसे टेंपररी लकवा जैसा भी हो सकता है। जीका इन्फेक्शन फैलने के अब तक जो सबूत मिले हैं उनमें मच्छर ही सामने आए हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि मच्छरों की सभी प्रजातियों से यह संभव नहीं है। यह स्विमिंग पूल से लेकर बोतल के ढक्कन तक में पनप सकता है। दिन के उजाले में काटने पर भी संक्रमण हो सकता है। येलो फीवर का जीका वायरस से भी संबंध है।
अब तक यह नही पता चल पाया है कि यह वायरस नवजात शिशुओं के दिमाग पर अटैक कैसे करता है या उसके लिए इसके वायरस को कैसे जिम्मेदार ठहराया जाए। नवजात शिशुओं के सिर का आकार छोटा होने का कारण यह वायरस हो सकता है जिससे उनका दिमाग भी प्रभावित हो सकता है। WHO के मुताबिक जीका रेयर न्यूरोलॉजिकल सिन्ड्रोम गीलियन-बैरे का भी कारण हो सकता है। इसके चलते वयस्कों को कुछ समय के लिए लकवा भी हो सकता है।