ऑटोमेशन और डिजिटल टेक्नॉलजीज ने बिजनस करने का सामान्य तरीका बदल दिया है। इसलिए इंडस्ट्री के ट्रेडिशनल बिजनस मॉडल पर काफी दबाव है। ये बदलाव स्पष्ट दिख भी रहे हैं। इन्फोसिस एक मशीन लर्निंग प्लेटफॉर्म बना रहा है, जो प्रॉजेक्ट्स मैनेजरों को बताएगा कि किसी प्रॉजेक्ट के लिए कितने लोगों की जरूरत है। इसमें डेडलाइन को देखते हुए तालमेल बिठाया जाएगा। कैपजेमिनी आईबीएम के कॉग्निटिव कंसल्टिंग टूल वॉटसन की मदद से प्रॉजेक्ट के लिए एंप्लॉयीज को तैनात कर रहा है। आमतौर पर ये काम 10 साल का तजुर्बा रखने वाले एंप्लॉयीज को दिया जाता है। यहां तक कि मिडल मैनेजमेंट की सैलरी हाइक पर भी दबाव है। टेक महिंद्रा ने उन एंप्लॉयीज का सैलरी रिवीजन रोक दिया है, जो 6 साल से अधिक समय से उसके साथ काम कर रहे हैं। कंपनी ने कहा है कि जब तक मैनेजमेंट इस बारे में कोई नया फैसला नहीं कर लेता, सैलरी नहीं बढ़ेगी।
(खबर इनपुट नवभारत टाइम्स)