चौटाला ने कहा, “मैंने 25 वर्षो से भारतीय खेल की निष्पक्ष होकर सेवा की है और भारतीय खेल को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है, खासकर मुक्केबाजी में। मैं इस बात से खुश हूं कि मैं हरियाणा से आता हूं जहां हमारी सरकार ने खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाईं और अब उसके खिलाड़ी देश में ओलम्पिक आंदोलन के सूत्रधार बने हुए हैं।” चौटाला ने कहा, “मैं जब आईएबीएफ का अध्यक्ष था तभी बीजिंग ओलंपिक-2008 में विजेंदर सिंह ने कांस्य पदक जीता था। मैं इस बात से भी खुश हूं कि मैरी कॉम ने लंदन ओलंपिक-2012 में कांस्य पदक अपने नाम किया था। उन्होंने कहा, “मैंने खेल की सेवा निष्पक्ष भाव से की है और खेल तथा खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सबकुछ करुंगा। मुझे 2012 में सर्वसम्मति से आईओए का अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 2013 मैं मैंने इस पद को इसलिए त्याग दिया ताकि आईओए संविधान में सुधार हो सके और इसी सुधार के कारण मैं दोबारा आईओए का अध्यक्ष बन सका।”
पूर्व खेल मंत्री अजय माकन और अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने भी आईओए के इस फैसले की आलोचना की है।