त्योहार चाहे जो भी हो लेकिन मुहूर्त का एक खास महत्व होता है। दिवाली पर्व पर पूजा पाठ का खास महत्व होता है। क्योंकि सही मुहूर्त पर पूजा पाठ कर आप इस खास मौके का सही लाभ उठा सकते हैं। रोशनीके त्योहार दिवाली पर रविवार को पूजन के कई मुहूर्त रहेंगे। अगर आप इस मुहूर्त में पूजा करते हैं तो ना सिर्फ मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होंगी बल्कि आपके घर-भंडार खुशियों से भर देंगी।
दिवाली पर प्रदोष काल में गृहस्थियों को लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठतादायक रहता है। शाम को 6:50 से 7:03 बजे तक लक्ष्मी पूजन सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इस बीच प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्न व कुंभ का नवांश रहेगा। ज्योतिष सम्राट पंचांग के निर्माता ज्योतिषाचार्य चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि धर्म सिंधु व निर्णय सिंधु जैसे धर्मशास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल सर्वश्रेष्ठ है। एेसे में शाम 5:42 से रात 8:17 बजे तक लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठतादायक होगा।
प्रदोषकाल जिस समय का दीपावली-महालक्ष्मी पूजन में सबसे ज्यादा महत्व है। वह सायंकाल 05 बजकर 34 मिनट से रात्रि 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। प्रदोषकाल में ही मेष, वृष लग्न और शुभ-अमृत के चैघड़िया भी विद्यमान रहेंगे। प्रदोषकाल का अर्थ है दिन-रात्रि का संयोग।
चर सुबह 8:02 से 9:25 बजे तक
लाभ सुबह 9:25 से व अमृत दोपहर 12:10 बजे तक
अभिजित मुहूर्त सुबह 11:47 से दोपहर 12:35 बजे तक
लाभ मध्यरात्रि 1.48 से 3.25 बजे तक
गृहस्थियों के लिए दीपावली महालक्ष्मी, कुबेर, दवात-कलम, तराजू-बाट, तिजोरी इत्यादि पूजन से अक्षय श्रीप्रद एवं कल्याणकारी सिद्ध होगी। कदाचित् यदि इस लग्न में पूजनादि कृत्य की सुविधा प्राप्त न हो सके तो भी अभिष्ट पूजनार्थ पूजा स्थल में दीपक जलाकर प्रतिज्ञा संकल्प अवश्य कर लेना चाहिए।