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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्र में बताया गया है कि अक्टूबर 2016 के बाद से निम्न पत्रिकाओं की कॉपी पीआईबी और डीएवीपी के ऑफिस में जमा नहीं कराया गया है, यह पहली बार है कि राष्ट्रधर्म पर इस प्रकार की कोई मुसीबत आई है।
राष्ट्रधर्म पत्रिका की ओर से जारी बयान में इस कार्रवाई को पूरी तरह से अनुचित बताया गया है. राष्ट्रधर्म के प्रबंधक पवन पुत्र बादल के अनुसार अभी उनके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह गलत है।उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने हमारे कार्यालय को सील करवा दिया था, उस समय भी पत्रिका का प्रकाशन बंद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि अगर किसी कार्यालय को कॉपी नहीं मिली है, तो उसे नोटिस देकर पूछना चाहिए था, बिना किसी नोटिस के कार्रवाई करना अनुचित है।
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